मनरेगा के तहत गाँवों में मजदूरों को होने वाली समस्याएं हर गाँव में देखी जा रही हैं। जितनी कच्ची सड़कें हैं, कोई नया काम नहीं किया जा रहा है, ताकि मनरेगा श्रमिकों को साल में सौ दिन काम मिल सके। मजदूर अपनी आँखें बंद करके बैठे हैं जो इस टंकी का पाइप बिछाने के लिए जल निगम द्वारा हर गाँव में टंकी लगा रहे हैं। पाइपों की खुदाई और बिछाने के कारण सभी चक्कर और गली गड्ढों से मुक्त हो गए हैं।

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उत्तरप्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि मनरेगा एक ऐसा कानून है जो गरीब मजदूरों को गाँव में 100 दिनों का रोजगार देता है। पर कही कही देखने को मिलता है की गाँव के लोग इससे भी वंचित रह जाते है

उत्तरप्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि समाज लिंग, जाति, धर्म आदि के आधार पर भी भेदभाव कर रहा है। पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता अधिक दिखाई देती है। महिलाओं के पास सभी प्रकार के अवसरों के लिए कम अवसर हैं। पुरुषों को हर जगह अधिक अवसर दिए जाते हैं, चाहे वह पढ़ाई हो, खाना हो, जीना हो, उठना हो, बैठना हो।

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उत्तर प्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि समाज में पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव करने की जो रूढ़िवादिता चली आ रही है, वह आज भी देखी जा सकती है। लोग सोचते थे कि बच्चे जीवन भर मेरे साथ रहेंगे, वे अच्छा खा रहे हैं, अच्छी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, लड़कियां कम खाएंगी, वे कम शिक्षित होंगी, उन्हें एक दिन घर जाना होगा। ऐसी सोच बहुत थी और आज के समय में भी यह सोच इस समाज में है, लेकिन महिलाएं पुरुषों के क्रम में कहीं नहीं हैं। महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं, चाहे वह शिक्षा हो, नौकरी हो या अपने माता-पिता की देखभाल हो। बच्चों को उचित शिक्षा और उचित भोजन प्रदान करना अनिवार्य है क्योंकि प्राथमिक और प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने वाली महिलाएं ही हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के मऊ जिला से सुरेन्द्रनाथ यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि सभी के लिए यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि हमारे समाज और हमारे देश के हित में पर्यावरण कितना महत्वपूर्ण है। ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि के कारण गर्मी तेजी से बढ़ रही है। वहाँ है और लोगों का जीवन हराम बन गया है, लोग त्रायाम प्रार्थना कर रहे हैं, लोग किसी भी तरह से खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। वे खुद नहीं जानते कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं और उनका यह भी मानना है कि अगर ऐसी स्थितियां बनी रहीं तो हम कब तक इस तरह का जीवन सह पाएंगे, लेकिन कोई भी इसके बारे में नहीं सोच रहा है। कि इसे कैसे बचाया जा सकता है, तो बचाने का सबसे आसान तरीका यह है कि हमें पर्यावरण को किसी भी स्थिति में संरक्षित करना चाहिए, चाहे वह हवा हो या पानी। किसी भी तरह से किसी से छेड़छाड़ न करें, एक पेड़ लगाएं, खासकर अगर आम बरगद के लिए जगह हो। पेड़ सभी प्रकार के छांव वाले पेड़ों का उपयोग करें आम जैसे फलों के पेड़ों का उपयोग करें नीम के पेड़ लगाएं ताकि ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा सके।

उत्तरप्रदेश राज्य के मऊ जिला से सुरेन्द्रनाथ यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि कड़ाके की गर्मी पड़ रही है। इस गर्मी से बचने के लिए आप सभी को दिन में दोपहर में बाहर नहीं जाना चाहिए। बहुत जरूरी हो तभी बाहर निकलें। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आप खुद को सुरक्षित पाएंगे, साथ ही आपको ध्यान देना चाहिए कि यदि आप धूप या गर्मी महसूस करते हैं, तो आप तुरंत सुरक्षित रहेंगे। इससे बचने के लिए, छायादार पेड़ के पास रुकें और चिलचिलाती धूप से बचने की पूरी कोशिश करें। धूप का चश्मा और जूते पहनें यात्रा के दौरान अपने साथ पानी ले जाना सुनिश्चित करें चाय या कॉफी जैसे पेय पदार्थों का सेवन न करें, साथ ही यदि आपके पास है अगर आप बाहर काम नहीं कर रहे हैं तो बाहर बिल्कुल न जाएं। गीले कपड़े शरीर पर और चेहरा गर्दन पर रखें। घर में बनी वस्तुएँ जैसे लस्सी, नमक, चीनी का घोल, नींबू का पानी, छाछ। आम के पत्ते आदि का प्रयोग करें। इसके अलावा, अपने जानवरों को छाया में रखें, भरपूर पानी पीएँ और अपने घर को ठंडा रखें।

उत्तरप्रदेश राज्य के मऊ जिला से रमेश कुमार यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि मनरेगा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण गारंटी अधिनियम मित्रों मनरेगा को भारत में एक कानून के रूप में इस विचार के साथ पेश किया गया था कि गाँव छोड़ने वाले गरीब मजदूर बाहर चले जाएँगे। जो लोग मजदूरी कमाने के लिए पलायन करते हैं, उन्हें पलायन नहीं करना चाहिए, उन्हें गांव में ही रोजगार दिया जाना चाहिए। एक परिवार को 100 दिनों का काम देना चाहिए जिसमें केवल एक परिवार को वर्ष में दस से पंद्रह दिनों के लिए काम मिल रहा हो।