उत्तरप्रदेश राज्य के सिद्धार्थनगर से अनीता दुबे ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि कई क्षेत्र में महिलाओं को सम्मान नहीं मिलता है। हमलोग की नैतिक जिम्मेदारी है कि महिलाओं को सम्मान दें और उनकी रक्षा करें। महिलाएं बहुत योग्य है ,वो कम पैसों में भी अपने परिवार का भरण पोषण अच्छे से करती है। महिलाएँ अपने परिवार के प्रति हमेशा समर्पण रहती है।

अभी भी महिलाओं को सम्मान नहीं दिया जाता है। हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है कि महिलाओं को सम्मान दें और उनकी रक्षा करें। अधिनियम के तहत, विभिन्न विभागों के प्रमुखों और स्थानीय शिकायत समिति के सदस्यों द्वारा महिलाओं को जीवन जीने की कला सिखाती है।मुख्य बात यह है कि महिला और बाल विकास विभाग द्वारा कई नियम बनाए गए हैं। ऐसे कई नियम हैं जिन्हें हम नहीं जानते हैं। यह एक विशेष कानून है जो बनाया गया है ताकि कार्यस्थल पर महिलाओं का शोषण न हो

उत्तरप्रदेश राज्य के सिद्धार्थनगर ज़िला से कृति सिंह ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि दुनिया भर में महिलाओं के अधिकारों के संबंध में मानवाधिकारों को बनाए रखने में अभी भी कई बाधाएं हैं। दुनिया में अभी भी एक भी ऐसा देश नहीं है जिसने पुरुषों और महिलाओं के लिए पूर्ण सामाजिक और आर्थिक समानता हासिल की हो। संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने की बात कही है। ।

उत्तरप्रदेश राज्य के सिद्धार्थनगर ज़िला से कृति सिंह ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि महिलाओं का अधिकार मानवधिकार है। महिलाओं और लड़कियों को मौलिक अधिकार मिलना चाहिए। दुनिया भर में कई लोगों को उनके मानवाधिकार घोषित किए जा रहे हैं क्योंकि वे महिलाएँ और लड़कियाँ हैं। दुनिया के किसी भी देश ने अभी तक लैंगिक न्याय हासिल नहीं किया है।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला सिद्धार्थनगर से कीर्ति सिंह , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि अगर सरकार मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखने वालों या सबसे निचले वर्ग की महिलाओं को सम्मान देने की बात कर रहे हैं, तो यह बहुत फायदेमंद और सराहनीय काम होगा।

भारत में जहां 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। इन चुनावों में एक तरफ राजनीतिक दल हैं जो सत्ता में आने के लिए मतदाताओं से उनका जीवन बेहतर बनाने के तमाम वादे कर रहे हैं, दूसरी तरफ मतदाता हैं जिनसे पूछा ही नहीं जा रहा है कि वास्तव में उन्हें क्या चाहिए। राजनीतिक दलों ने भले ही मतदाताओं को उनके हाल पर छोड़ दिया हो लेकिन अलग-अलग समुदायो से आने वाले महिला समूहों ने गांव, जिला और राज्य स्तर पर चुनाव में भाग ले रहे राजनीतिर दलों के साथ साझा करने के लिए घोषणापत्र तैयार किया है। इन समूहों में घुमंतू जनजातियों की महिलाओं से लेकर गन्ना काटने वालों सहित, छोटे सामाजिक और श्रमिक समूह मौजूदा चुनाव लड़ रहे राजनेताओं और पार्टियों के सामने अपनी मांगों का घोषणा पत्र पेश कर रहे हैं। क्या है उनकी मांगे ? जानने के लिए इस ऑडियो को सुने

किसी भी समाज को बदलने का सबसे आसान तरीका है कि राजनीति को बदला जाए, मानव भारत जैसे देश में जहां आज भी महिलाओं को घर और परिवार संभालने की प्रमुख इकाई के तौर पर देखा जाता है, वहां यह सवाल कम से कम एक सदी आगे का है। हक और अधिकारों की लड़ाई समय, देश, काल और परिस्थितियों से इतर होती है? ऐसे में इस एक सवाल के सहारे इस पर वोट मांगना बड़ा और साहसिक लेकिन जरूरी सवाल है, क्योंकि देश की आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है। इस मसले पर बहनबॉक्स की तान्याराणा ने कई महिलाओँ से बात की जिसमें से एक महिला ने तान्या को बताया कि कामकाजी माँओं के रूप में, उन्हें खाली जगह की भी ज़रूरत महसूस होती है पर अब उन्हें वह समय नहीं मिलता है. महिलाओं को उनके काम का हिस्सा देने और उन्हें उनकी पहचान देने के मसले पर आप क्या सोचते हैं? इस विषय पर राय रिकॉर्ड करें

कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

नासिक में रहने वाली मयूरी धूमल, जो पानी, स्वच्छता और जेंडर के विषय पर काम करती हैं, कहती हैं कि नासिक के त्र्यंबकेश्वर और इगतपुरी तालुका में स्थिति सबसे खराब है। इन गांवों की महिलाओं को पानी के लिए हर साल औसतन 1800 किमी पैदल चला पड़ता है, जबकि हर साल औसतन 22 टन वज़न बोझ अपने सिर पर ढोती हैं। और ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

हांगकांग के फूड सेफ्टी विभाग सेंटर फॉर फूड सेफ्टी ने एमडीएच कंपनी के मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला मिक्स्ड पाउडर और करी पाउडर मिक्स्ड मसाला में कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड पाया है और लोगों को इसका इस्तेमाल न करने को कहा है. ऐसा क्यों? जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें