उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से सरोज चौधरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि आधुनिक समाज में महिलाओं को मताधिकार से वंचित करने का विचार काफी बदल गया है वैसे अभी भी कई समस्याएं और बाधाएं हैं।महिलाओं की समानता का महत्व अब समाज में एक अधिकार माना जाता है ,शिक्षा और जागरूकता अभियानों के माध्यम से लोगों में महिलाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ी है, सरकारों ने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की है इसने महिलाओं को सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक अवसर प्रदान करने के लिए घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम, कार्यस्थल उत्पीड़न निवेश अधिनियम और दहेज निवेश अधिनियम, महिलाओं को आरक्षण, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और अन्य नीतियों जैसे कई कानून बनाए हैं। आंदोलन के माध्यम से सामाजिक संगठनों और वित्त को सशक्त बनाने के लिए उचित रूप से डिज़ाइन किए गए, सत्तावादी सोच और ग्रामीणवाद को चुनौती दी जा रही है। महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए पुरुषों की भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। समाज में महिलाओं को अधिकार नहीं दिए जाने के मुद्दे पर अब पहले से कहीं अधिक संवेदनशीलता और समझ है, हालांकि इस दिशा में अभी भी लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन सकारात्मक बदलाव और सुधार लगातार हो रहे हैं।