हां , बचपन में हम सोचते हैं कि हम जल्द ही बड़े हो जाएंगे और जब हम बड़े होते हैं तो हमारा बचपन बहुत यादगार हो जाता है । बचपन की यादें अभी भी बनी हुई हैं । बचपन की यादें दिल को छू जाती हैं । सावन के झूले और कागज़ दिल को गुदगुदी से लपेटते हैं । बचपन की यादें दिल की धड़कन को छोड़ देती हैं और लड़ती हैं । बचपन की यादें उन प्यासे पर्दे के लिए पानी रखती हैं । कितना ख्याल में आती है , बचपन की यादें , गिंडा में जागना और सम्भलनालोरी में गिरना , बचपन की यादें , गर्मी की छुट्टियों में नानी हॉल जाना , सपने , बचपन की यादें , पेड़ से कूदना , पानी में नहाना , होली , बचपन की यादें । यादें वह गाँव के मेले में पिता के कंधे को पीटती है बचपन की यादें एक कोयल को चिढ़ाना और एक तितली को पकड़ना बचपन की यादें ढूँढना आप बचपन के खजाने को नहीं भूल सकते