गर्मी की लहर के दौरान बाहर काम करने वाले लोगों की सुरक्षा पर आधारित कार्यक्रम। यह कहानी एक परिवार के माध्यम से लू से होने वाले खतरों, चिकित्सा सलाह और सुरक्षा उपायों को दर्शाती है, साथ ही श्रोताओं को जागरूक करने का प्रयास करती है। आपकी राय में इस भीषण गर्मी में किस तरह से बाहर काम करने वाले लोग अपना ध्यान रख सकते हैं? हम किस तरह से इन लोगों की मदद कर सकते हैं?

इस भीषण गर्मी की चपेट में आने से बचना है, तो मौसम विभाग या सरकार द्वारा दी जाने वाली जानकारी और चेतावनी को गभीरता से समझना है और उन बातों का पालन करना है. सावधानी और सतर्कता, इन दोनों बातों का हमें ध्यान रखना है |इस भीषण गर्मी से जुड़ी चेतावनी आपको कहाँ से मिलती है ? चेतावनी सुनने या देखने के बाद आप क्या कदम उठाते है ? आप या आपके आसपास लोग इस भीषण गर्मी से बचने के लिए क्या करते है ?

साथियों, हमें बताएं कि क्या आपके क्षेत्र के सरकारी जिला अस्पतालों, उपस्वास्थ्य केन्द्रों, स्वास्थ्य केन्द्रों, आंगनबाडी में पानी की कमी है? क्या वहां प्रशासन ने पानी की सप्लाई व्यवस्था दुरूस्त नहीं की है? अगर अस्पताल में पानी नहीं मिल रहा है तो मरीज कैसे इलाज करवा रहे हैं? क्या पानी की कमी के कारण बीमार होते हुए भी लोग इलाज करवाने अस्पताल नहीं जा रहे? या फिर आपको अपने साथ घर से पानी लेकर अस्पताल जाना पड़ रहा है? अपनी बात अभी रिकॉर्ड करें, फोन में नम्बर 3 दबाकर.

इस भीषण गर्मी से बचना है तो इन बातों का हमेशा ध्यान रखना है। नियमित रूप से पानी पीना, भोजन में पौष्टिक तत्व और ठंडी चीज़ों को शामिल करना और हल्का भोजन करना। अगर आपने इस भीषण गर्मी से बचने के लिए कोई खास तरीका अपनाया है या फिर अपने भोजन में किसी तरह की कोई खास चीजें शामिल की हैं, जिससे कि इस भीषण गर्मी में कुछ राहत मिल सके, तो अपने ये उपाय सभी के साथ जरूर बांटें।

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भीषण गर्मी और लू के कारण स्वास्थ्य, पर्यावरण, कृषि और अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ रहे हैं, इन सभी खतरों से निपटने के लिए हमें तैयारियां करनी होंगी।

उत्तरप्रदेश राज्य के आंबेडकर नगर जिला से आशीष श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि प्राकृतिक संसाधन कम हो रहे हैं, इसलिए जल संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है।हमें नल से जितना पानी चाहिए उतना ही लेना चाहिए। हमें जल वितरण में पाइपों में छेद या रिसाव की जांच करनी चाहिए। हमें बारिश इकट्ठा करनी चाहिए। बागवानी में कपड़े धोने के बाद बचे पानी का उपयोग करना चाहिए हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि एक दिन में कितना पानी बर्बाद होता है और इसे कम करने की कोशिश करें।

उत्तरप्रदेश राज्य के आंबेडकर जिला से आशीष श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बढ़ती जनसंख्या में पानी की आवश्यकता बहुत अधिक है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में जनसंख्या उद्यमिता में वृद्धि हुई है। और जैसे-जैसे कृषि में विस्तार के साथ-साथ पानी की मांग बढ़ती जा रही है, जल संरक्षण भी आज की सबसे बड़ी आवश्यकता बन गई है क्योंकि ऐसा लगता है कि आने वाले कुछ समय में हमारी पृथ्वी से पानी छीन लिया जाएगा। पानी सूखता रहेगा। वर्षा जल संचयन मूल रूप से इसे इमारतों की छतों पर इकट्ठा करके और जमीन में संरक्षित करके किया जा सकता है। भूजल की कमी और भूजल स्तर में सुधार, हमें ऐसे कार्य कैसे करने चाहिए ताकि जल का संरक्षण किया जा सके। सुनिश्चित करें कि आपके घर में पानी का रिसाव न हो और आपको जितना चाहिए उतना पानी का उपयोग करना चाहिए। उपयोग के बाद पानी के नल को बंद कर देना चाहिए। नल को बंद रखें और केवल आवश्यक होने पर ही खुला रखें। नहाने में बहुत ज्यादा पानी बर्बाद न करें। एक ऐसी वाशिंग मशीन का उपयोग करें जो बहुत अधिक भोजन न खाए। कपड़े या कपड़े धोते समय नल को खुला न छोड़ें। पानी को बहुत बार नाली से नीचे न जाने दें, लेकिन इसका उपयोग अन्य उपयोगों के लिए करें, जैसे कि पौधों या बगीचों को पानी देना या सफाई करना। सब्जियों और फलों को धोने के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी का उपयोग फूलों और सजावटी पौधों के बर्तनों की सिंचाई के लिए किया जा सकता है, जिससे पानी की बचत होती है। बचा हुआ पानी न फेंकें, इसका उपयोग पौधों की सिंचाई के लिए किया जा सकता है, पानी के फव्वारे खुले न छोड़ें, तालाबों में कचरा न फेंकें, नदियां और समुद्र कुछ अन्य घरेलू उपचार हैं।

गर्मी से बचने के लिए सभी जरुरी कदम उठाने होंगे | बिजली का जरुरत से ज्यादा इस्तेमाल ना करें, पानी का सही इस्तेमाल करें और जब तक ज़रूरी ना हो, घर से बाहर धुप में ना निकले |

दोस्तों, फसले बिना केमिकल के जी जाती हैं पर पानी के बिना तो जमीन बेजान ही है! मवेशियों में भी कहां इतनी जान होगी कि वो खेत जोत पाएं, हमें दूध दे पाएं! पानी तो सबको चाहिए , पर... साथियों, हमें बताएं कि पानी के प्राकृतिक स्त्रोत खत्म होने से आपको किस तरह की दिक्कतें हो रही हैं? क्षेत्र के कुएं, पोखर और तालाब प्रशासन ने खत्म कर दिए हैं या फिर वे सूख रहे हैं? क्या इन्हें बचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं? अगर स्त्रोत सूख रहे हैं तो आपके पास पीने के पानी का क्या विकल्प है? क्या खेतों में पानी नहीं पहुंचने से फसलों को नुकसान हो रहा है? पानी की कमी के कारण किसानों और पशुपालकों को किस तरह की दिक्कतें हो रही हैं? खेतों में पानी पहुंचाने के लिए आपने क्या व्यवस्था की है और क्या यह पर्याप्त है? दोस्तों, पानी अहम है क्योंकि ये हमें जीवन देता है और आप तो जानते ही हैं.... जिंदगी जरूरी है!