नमस्कार दोस्तों , मैं मोहन सिंह हूं , आप सभी का स्वागत है । साथियों , आज की कहानी का शीर्षक है स्मार्ट बॉय , एक लड़का भेड़ चराता था । एक दिन वह जंगल में भेड़ें चर रहा था । उसे देखकर भेड़ें इधर - उधर भागती रहीं । कुछ भेड़ों को दानव ले गया । लड़के का दिन बाकी भेड़ों की तलाश में बीतता है । शाम को , जब वह एक महल के सामने भटकता है , तो वही राक्षस उस महल में रहता है । उसे देखते ही दानव मुस्कुरा दिया । मैंने तुम्हारी सभी भेड़ों को खा लिया है , अब मैं आपको भी खा जाऊंगा । देखो मैं कितना बलवान हूँ । लड़के ने कहा , " क्या तुम पत्थर से आग लगा सकते हो ? " दानव ने कहा , ' नहीं । ' लड़के ने अपनी जेब से एक दीया का टुकड़ा निकाला और एक पत्र लिखा । उसने उसे एक पत्थर पर रगड़कर जला दिया और कहा , " देखो , मैं पत्थर से आग लगा सकता हूँ । " तक्षश को बहुत आश्चर्य हुआ । उन्होंने कहा , " जंगल में हमेशा आग की जरूरत होती है । मुझे बताएँ , लड़के ने कहा , ठीक है , मैं आपको बताऊंगा , लड़का पूरी रात महल में रहा । सुबह के दानव ने कहा , चलो एक बरगद के पेड़ को उखाड़ दें । लड़के ने कहा , चलो चलते हैं । राक्षस ने बरगद के पेड़ को झुकाया और कहा , तुम इसे पकड़ो । मैंने उसे जड़ से तोड़ दिया । लड़के ने पेड़ की एक शाखा को पकड़ लिया और जैसे ही दानव उसे छोड़ गया , वह ऊपर कूद गया । लड़का भी आसमान में बहुत दूर कूद गया । लड़के ने कहा , यह बहुत अच्छा खेल है । उसने दानव से कहा , क्या तुम हो ? मेरी तरह तुम इतनी ऊँची छलांग लगा सकते हो , दानव ने कहा नहीं , दानव ने पेड़ को उखाड़ दिया और लड़के ने कहा कि जड़ का हिस्सा भारी है , मैं उसे उठाऊंगा । राक्षस ने पेड़ के तने को अपने कंधे पर रख दिया । लड़का चुपके से पेड़ के खोखले में कूद गया । जब विशाल पेड़ को ले जाने वाला राक्षस उसके महल के दरवाजे पर पहुंचा , तो लड़का जमीन पर खड़ा हो गया । दानव ने पेड़ को जमीन पर गिरा दिया । वह थक गया था और हांफ रहा था । लड़के ने कहा , " तुम थक गए हो , मैं थक नहीं रहा हूँ । " दानव को बहुत आश्चर्य हुआ । लड़का वहाँ नहीं था , दानव ने उसके दिमाग में सोचा कि अगर मैं इस लड़के को नहीं रखूँगा तो वह मेरा मालिक बन जाएगा , लेकिन लड़का लापरवाह नहीं था । दानव की आँखों से पानी बचाते हुए , लड़के ने उसे पानी से भर दिया और अपने सोते हुए बिस्तर को एक चादर से ढक दिया , और वह खुद आधी रात को दरवाजे के पीछे चुपचाप बैठ गया । दानव उठा और धीरे - धीरे लड़के के बिस्तर की ओर बढ़ा , उसे समझ आया कि लड़का सो रहा है और बड़े उत्साह के साथ , एक घूंसे ने मुखौटा तोड़ दिया और पानी कूद गया और दानव के मुंह पर गिर गया । खून भरा हुआ है जैसे ही सुबह आई , लड़का मुस्कुराते हुए दानव के सामने पहुंचा और कहा कि रात को मैंने सपना देखा कि एक मक्खी ने मुझे काट लिया है । दानव उसे भयभीत आँखों से देख रहा था । दोनों एक साथ खाना खाने बैठ गए । लड़के के गले में एक थैली बंधी हुई थी , वह भी खाता था और उसे दानव की आंखों से बचाकर भर देता था । दानव ने कहा नहीं , तुम इतना कैसे खा सकते हो । लड़के ने कहा , मैंने पेट की थैली काटकर खाना निकाला । फिर मैंने खाना शुरू किया । यह कहते हुए लड़के ने एक चाकू निकाला और अपनी कमीज के अंदर डाल दिया । जब उसने देखा कि थैला फट गया है और अंदर का खाना बाहर आ गया है , तो उसे बहुत गुस्सा आया । उन्होंने कहा , " ओह , यह बहुत अच्छा खेल है । " उसने अपने हाथ में एक बड़ा चाकू भी लिया और उसे अपने पेट में खा लिया । और जो लड़का मर गया वह महल का मालिक बन गया और उसे उसमें बहुत बड़ा खजाना मिला , इसलिए हम इस कहानी से सीखते हैं कि किसी को हर स्थिति में न केवल ताकत के साथ काम करना चाहिए , बल्कि विवेक के साथ भी काम करना चाहिए और हमेशा दुष्टों से सावधान रहना चाहिए ।

नमस्कार दोस्तों , मैं मोहित सिंह हूं , आप सभी का स्वागत है । आज की कहानी का शीर्षक चोरी का फल है एक किसान जो एक गाँव में रहता था और उसके दो बेटे और एक बेटी थी । मोहन मदन और श्यामा हर दिन गाँव के बाहर स्कूल जाती थी । किसान अपने तीन बच्चों से बहुत प्यार करता था । उनका एक सपना था कि उनके तीन बच्चे पढ़ेंगे और अच्छे और बड़े आदमी बनेंगे । उन्हें यह बहुत पसंद था , इसलिए माँ घर पर स्वादिष्ट नारियल के लड्डु बनाती थीं और स्कूल जाते समय उन्हें हर दिन एक लड्डु देती थीं । रोजाना खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है । माँ ने उसे डराने के लिए कहा था ताकि लाडू लंबे समय तक रहे और कुछ दिनों में खत्म न हो जाए । एक दिन कुछ मेहमान उसे लाडू देने के लिए घर आए । जब माँ ने लड्डु का डिब्बा खोला तो वह हैरान रह गईं । शेष लाडू में से आधे से अधिक गायब थे । माँ को तुरंत एहसास हुआ कि उनके बच्चे लड्डुओं को चुरा कर खा रहे हैं । माँ ने किसान से कहा कि किसान को यह सुनकर बहुत दुख हुआ । वह बच्चों को सिखा रहे थे , अगर उनके बच्चे चोरी जैसी गलत चीजें करना सीख रहे हैं , तो यह उनके लिए बहुत शर्म और दुख की बात थी । किसान के लिए यह पता लगाना बहुत मुश्किल था कि उसके कौन से बच्चे लाडू चुराकर खा रहे थे । फिर अचानक किसान को एक तरकीब सूझी । उन्होंने अपनी पत्नी को समझाया कि नारियल के लाडू में नीम के पत्तों का रस मिला था । किसान की पत्नी को यह तरकीब पसंद आई और दोपहर के बाद जब तीनों बच्चे स्कूल से घर लौटे तो उन्होंने भी ऐसा ही किया । जब माँ ने उन्हें खाते हुए देखा तो वह गाय को खाना खिलाने के लिए घर से बाहर चली गई । कुछ ही समय बाद किसान का दूसरा बेटा मदन घर के मुख्य दरवाजे पर आया और उसने दरवाजे पर सब कुछ खा लिया । मोहन का चेहरा नीचे और उसकी आँखों में था । बहुत पानी बह रहा था जब किसान और उसकी पत्नी भी घर के मुख्य दरवाजे पर पहुंचे तो वे दोनों समझ गए कि यह उसका बेटा मोहन है जो लड्डु चुराकर खा रहा है । किसान ने बड़े बेटे मोहन और छोटी बेटी श्यामा को मदन के कारनामों के बारे में बताया । पत्नी अधिक दुखी होती है । किसान ने गुस्से में कहा कि मदन कल से स्कूल नहीं जाएगा । वह मेरे साथ खेतों में मजदूर के रूप में काम करेगा । अगर उसे चोर बनना है तो उसे पढ़ने - लिखने का कोई फायदा नहीं है । जबकि मदन का चिल्लाना बंद हो गया । क्षतिग्रस्त और अपनी गलती का एहसास करते हुए , उसने अपनी गलती स्वीकार कर ली और मदन ने अपने माता - पिता से माफी मांगते हुए कहा कि वह कभी चोरी नहीं करेगा । अब आपको खुद तय करना होगा कि आप अपमानित होना चाहते हैं या सम्मानित होना चाहते हैं । मदन ने फैसला किया कि वह अब ऐसा काम नहीं करेगा जिससे उसके माता - पिता को चोट पहुंचे या उसका अपमान हो । उसकी प्रार्थना पर , किसान ने उसे माफ कर दिया ।

शेर और लकड़हारे की कहानी

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

सत्य वचन

आज अंबेडकरनगर की सब्जी मंडी में ताजा सब्जियों का भाव जाने।

सरकार को किसने की मांग को मान लेना चाहिए क्योंकि भारत की अधिकतर जनसंख्या किसानो पर ही निर्भर है और सरकार को कुछ ऐसा कदम उठाना चाहिए कि मएसपी भी लागू हो जाए और देश में महंगाई भी ना बढ़े

नमस्कार दोस्तों , नमस्कार , मैं मोहित सिंह , मोबाइल वाड़ी अंबेडकर नगर न्यूज में आप सभी का स्वागत है , तो आज का विषय लकड़ी का एक टुकड़ा बिना काटे कैसे काटा जाए है । सम्राट अकबर अक्सर बीरबल के साथ कई समस्याओं पर चर्चा करते थे और उनकी बुद्धि का परीक्षण भी करते थे , जबकि बीरबल हर समस्या को बहुत ही अंतर्दृष्टिपूर्ण और दिलचस्प तरीके से हल करते थे । यह बात है कि महाराज अकबर और बीरबल दोनों शाही बगीचे में बैठे थे और दोनों एक गंभीर मुद्दे पर चर्चा कर रहे थे , फिर अचानक सम्राट अकबर के दिमाग में बीरबल का परीक्षण करने का सुझाव आया । पास के एक पेड़ की ओर इशारा करते हुए अकबर ने बीरबल से पूछा , " बीरबल , आप हमें एक बात बताइए , यह हमारे सामने का पेड़ है , क्या आप इसे बिना काटे छोटा कर सकते हैं ? " बीरबल ने सम्राट अकबर के मन को समझा और सम्राट अकबर के हाथों में लकड़ी दे दी और कहा , " महाराज , मैं इस लकड़ी को छोटा कर सकता हूँ । " एक बड़े गिरे हुए पेड़ को उठाते हुए और उसे अपने हाथ में लेते हुए , सम्राट ने अकबर से पूछा कि इनमें से कौन सा छोटा है । सम्राट अकबर ने बीरबल की चतुराई को समझा और छोटी चतुराई बीरबल को दे दी । नी बिबल , तुम लकड़ी को बिना काटे छोटा कर दो , फिर वे दोनों जोर से हंसने लगते हैं , इसलिए हमें इस कहानी से सबक मिलता है कि चाहे जो भी स्थिति हो , इससे बाहर निकलने का रास्ता दिमाग से काम करना है ।