नमस्कार दोस्तों , मैं मोहित सिंह हूं , आप सभी का स्वागत है । हां , दोस्तों , आज की कहानी का शीर्षक है दारपोक रैबिट । आपको पता होगा कि खरगोश बहुत डरपोक होते हैं । एक खरगोश को डरने की आदत बहुत बुरी लगती थी , वह सोचता था कि हे भगवान , तुम मुझे इतना क्यों डराते हो कि मैं कोई भी प्यार करने से डरता हूँ । मुझे इतना डर क्यों लग रहा है ? उसने क्यों सोचा कि वह अब और नहीं डरेगा ? उसने खुद से कहा , मैं बहादुर हूँ , मैं कायर हूँ । नहीं हूं , तभी थोड़ी सी आवाज़ आई और खरगोश डर कर भागने लगा । आदत इतनी जल्दी नहीं बदलती । आप लोगों को पता होगा कि दौड़ते समय वह तालाब के किनारे तक पहुंच जाता है । वहाँ कुछ मेंढक खेल रहे हैं , जैसे ही उन्हें किसी के आने की आवाज़ सुनाई देती है , वे डर से तुरंत पानी में कूद जाते हैं । खरगोश को राहत मिली और उसने सोचा कि चलो किसी ऐसे व्यक्ति को छोड़ दें जो मुझसे भी हो । इसका मतलब है कि दुनिया में हर कोई किसी न किसी से डरता है और सबसे मजबूत व्यक्ति भी भगवान से डरता है , इसलिए वह खुद से ज्यादा मजबूत है ।