नमस्कार दोस्तों , नमस्कार , मैं मोहित सिंह हूँ । मैं आप सभी का स्वागत करता हूं । अम्बेडकर नगर समाचार में मोबाइल वडनी । इसलिए आज की कहानी का शीर्षक अकबर का तोता है । यह बहुत पहले की बात है । एक बार अकबर । वह बाजार जा रहा था , जहाँ उसने एक तोता देखा जो बहुत प्यारा था , उसके मालिक ने उसे बहुत अच्छी चीजें सिखाई थीं । अकबर यह देखकर खुश हुआ और उसने तोता खरीदने का फैसला किया । तोते को खरीदने के बजाय , अकबर ने मालिक को अच्छी कीमत दी और वह तोते के साथ महल में आया । उनसे कुछ भी पूछने पर उन्होंने तुरंत जवाब दिया कि अकबर बहुत खुश हैं । तोता दिन - ब - दिन उसके लिए प्रिय होता जा रहा था । उन्होंने महल में रहने और अपने नौकरों के लिए एक साही की व्यवस्था की थी । यह कहते हुए कि इस तोते का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए , तोते को किसी भी तरह की समस्या नहीं होनी चाहिए और उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी ने तोते को मारा है तो इस तोते को किसी भी स्थिति में मरना भी नहीं चाहिए । जब उन्हें उनकी मृत्यु की खबर दी जाती , तो वे उन्हें फांसी पर लटका देते । महल में तोते के रहने का ख्याल रखा गया , फिर एक दिन तोता अचानक मर जाता है , इसलिए अब महल के नौकर हैरान रह जाते हैं । आखिरकार अकबर को यह कौन बताएगा क्योंकि अकबर ने कहा था कि जो भी तोते की मौत की खबर देगा , वह उसकी जान ले लेगा । अब नौकर परेशान थे । बहुत सोचने के बाद उन्होंने बीरबल को यह बताने का फैसला किया । हर कोई बीरबल को सब कुछ बताता है और यह सुनने के बाद कि सम्राट अकबर मौत की खबर देने वाले व्यक्ति को मौत की सजा देगा , बीरबल सम्राट अकबर की इस खबर को बताने के लिए सहमत हो जाता है । बीरबल अकबर के पास गया और कहा , " महाराज , यह एक दुखद खबर है । " अकबर ने पूछा , " मुझे बताइए क्या हुआ । " बीरबल ने कहा , " महाराज , आपका प्यारा तोता न तो खा रहा है और न ही पी रहा है , न बोल रहा है और न ही आंखें खोल रहा है । और न तो कोई कार्रवाई हुई , न ही अकबर ने गुस्से में बात की , न ही उसने सीधे बात की , जिससे वह मर गया । अकबर को भी कुछ नहीं बोलने दें और इस तरह बीरबल के महान ज्ञान से अपनी और अपने सेवकों की जान बचाएं , यह हमें सिखाता है कि किसी को कठिन समय में नहीं बल्कि बुद्धिमानी से घबराना चाहिए ।