देश में हर साल 26 नवम्बर का दिन संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है ! यह संविधान ही है जो हमें एक आजाद देश का आजाद नागरिक की भावना का एहसास कराता है। जहां संविधान के दिए मौलिक अधिकार हमारी ढाल बनकर हमें हमारा हक दिलाते हैं, वहीं इसमें दिए मौलिक कर्तव्य में हमें हमारी जिम्मेदारियां भी याद दिलाते हैं। 26 नवंबर 1949 का दिन आजाद भारत के इतिहास का बड़ा ऐतिहासिक दिन था!

दोस्तों, अब आपके पास भी मौका है झुमरू का झोला उठाने का। अपने क्षेत्र के मज़ेदार किस्से, कहानियां और लोक गीत ढूंढिये और रिकॉर्ड कीजिए मोबाइल वाणी पर। सबसे ज़्यादा रोचक किस्से, कहानियां और लोक गीत रिकॉर्ड करने वाले को मिलेगा, मोबाइल वाणी और रिप्रेजेंट बिहार संस्था की ओर से एक आकर्षक इनाम। तो फिर देर किस बात की, बन जाइए झुमरू और निकल पड़िए मज़ेदार किस्से, कहानियों और लोक गीतों की तलाश में। और हाँ.. उन्हें रिकॉर्ड करने के लिए फोन में दबाएं नम्बर 3...

दोस्तों, आज झुमरू के झोले से निकला है एक लोक गीत। यह गीत सुना रही है जमुई से मोबाइल वाणी की श्रोता, अशोका देवी। अगर आपके पास भी ऐसा ही कोई लोक गीत है, तो उसे मोबाइल वाणी पर रिकॉर्ड करें। इसके अलावा, आप रिकॉर्ड कर सकते है अपने क्षेत्र के रोचक किस्से और कहानियां... फोन में नम्बर 3 दबाकर।

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दोस्तों, आज झुमरू के झोले से निकला है एक लोक गीत - सोहर. ये गीत बिहार राज्य में बच्चे के पैदा होने पर गाया जाता है। आज के गीत में माता कौशल्या बारिश रुकने की प्रार्थना कर रही है, लेकिन क्यों? ये गा कर बता रहे है चंपारण के सुखल पासवान जी। अगर आप भी ऐसा कोई लोक गीत जानते है तो उसे मोबाइल वाणी पर रिकॉर्ड करें. इसके अलावा, आप रिकॉर्ड कर सकते है अपने क्षेत्र के किस्से और कहानियां.. फोन में नम्बर 3 दबाकर.

दोस्तों, आज झुमरू के झोले से निकली है सात भाईयों और एक राक्षस की मज़ेदार कहानी. भाईयों ने कैसे उस राक्षस से अपनी बहन की रक्षा की, ये बता रही है सिवान जिले के लहेजी गांव की चिन्मय कुमारी. और हां, अगर आप भी ऐसी कोई कहानी जानते है तो उसे मोबाइल वाणी पर रिकॉर्ड करें. इसके अलावा, आप रिकॉर्ड कर सकते है अपने क्षेत्र के लोकगीत और कथाएं.. फोन में नम्बर 3 दबाकर.

मुल्क की तरक्की व अमन के पैगाम के साथ कुतबुल अवलिया अबुल फय्याज मना सालाना उर्स। माहपुर के खजरौनी में बीती रात अकीदत से मनाया गया उर्स। हुसैनगंज फोटो हुसैनगंज प्रखंड क्षेत्र के बघौनी पंचायत के माहपुर खजरौनी में बीती रात कुतबुल अवलिया अबुल फय्याज कमरुल हक हजरत शैख गुलाम रशिद अरशद मोहम्मद रशिद मुस्तफा रहमतुल्लाह अलैह दादा पिर का सालाना उर्स पाक कदिम रश्मों रेवाजों के साथ मनाया गया। सालाना उर्स पर मजार के अंदर कादरीय मिल्लत के आस्ताने पर चादरपोशी कर फातेहाखानी पढ़ी गई। जहां हजारों की संख्या में कौमी एकता का मिसाल में हिन्दु मुस्लिम अकीदत मंदों ने नजराना अकिदत पेश किया । अवलिया ए मिल्लत का सालाना उर्स बीती रात बड़े ही अकीदत व एहतराम के साथ अमन का पैगाम देते हुए मनाया गया। मजार पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। देर रात तक चलने वाले जलसे में धार्मिक उलमाओं ने उर्स की अहमियत पर प्रकाश डाला। उर्स में कई बड़े मुख्य वक्ताओं ने अवलिया व मिल्लत के जीवनी की व्याख्या करते हुए कहा कि अमिने मिल्लत बिना जाति व धर्म को देखे, सभी दबे कुचले लोगों से प्यार व मोहब्बत करते और उनके हर सुख दुख में उनके साथ खड़े रहते थे। इन बुजुर्गों के नसीहत और रास्ते हमारे जिंदगी में कामयाबी दिलाएगा। उनके बताए हुए रास्ते पर चलने से हम 1 दिन कामयाब होंगे। वक्ताओं ने कहा कि आज हमारे मुआसरे में में तालीम घटती जा रही है और बुराइयां बढ़ती जा रही है।हमारे बच्चे दीनी तालीम को छोड़कर दुनियावी तालीम में ज्यादा हिस्सा ले रहे हैं, लेकिन हमें दीनी तालीम भी हासिल करना बहुत जरूरी है। तकरीर में हेदायत देकर उर्स पाक में शामिल सभी लोग अपने बच्चों पर ध्यान देते हुए उनके संदेशों को अपने जीवन में उतारें। मो फरजान ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम भाईचारा को मजबूती प्रदान करते हैं।शहजाद फारुकी ने बताया कि हमारे बुजुर्ग हमेशा से हिंदुस्तान की सर जमीन पर एकता और मोहब्बत का मिसाल कायम किया है।