कुछ महीने पहले की बात है, सरकार ने महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कानून बनाया है, जिससे उन्हें राजनीति और नौकरियों में आरक्षण मिलेगा, सवाल उठता है कि क्या कानून बना देने भर से महिलाओं को उनका हक अधिकार, बेहतर स्वास्थय, शिक्षा सेवाएं मिलने लगेंगी क्या? *----- शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक अवसरों तक महिलाओं की पहुंच में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं *----- महिलाओं को जागरूक नागरिक बनाने में शिक्षा की क्या भूमिका है? *----- महिलाओं को कानूनी साक्षरता और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक कैसे किया जा सकता है"
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 2021 की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में आर्थिक समानता में महिलाओं की संख्या 58 फीसदी है। लेकिन पुरुषों के बराबर आने में उन्हें अभी सदियां लग जाएंगी। 156 देशों में हुए इस अध्ययन में महिला आर्थिक असमानता में भारत का स्थान 151 है। यानी महिलाओं को आर्थिक आजादी और अचल संपत्ति का हक देने के मामले में एक तरह से हम दुनिया में सबसे नीचे आते हैं। दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के जीवन का बड़ा समय इन अधिकारों को हासिल करने में जाता है, अगर यह उन्हें सहजता से मिल जाए तो उनका जीवन किस तरह आसान हो सकता है? *----- महिलाओं के लिए भूमि अधिकारों तक पहुंच में सुधार के लिए कौन- कौन से संसाधन और सहायता की आवश्यकता हैं?
रोजगार और श्रम के मसले पर भी महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, और इसके पीछे का कारण भी वही हैं जो उन्हें अवसरों का समानता, स्वतंत्र निर्णय लेने में होने वाली परेशानियां है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, भारत में महिलाओं का 81.8 प्रतिशत रोजगार अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में केंद्रित है। ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 के ही अनुसार, औसतन भारतीय महिलाओं को पुरुषों की आय का 21% भुगतान किया जाता था। इस सबके पीछे का कारण यह है कि महिलाओं को उनके परिवार में ही हक और बराबरी के बारे न बताया जाता है और न सिखाया जाता है, जिसके चलते महिलाओं के पास विकल्प कम होते जाते हैं, और वह जो मिल रहा है रख लो वाली सोच की आदि हो जाती हैं, जोकि उनकी क्षमताओं के साथ अन्याय है। *----- दोस्तों महिलाओं के हक, अधिकार और समानता के मसले पर आपका क्या सोचते हैं ? *----- क्या आपको भी लगता है कि महिलाओं को पिता की संपत्ती में अधिकार के साथ उनके साथ समानता का व्यवहार किये जाने की आवश्यकता है? या फिर आप कुछ इससे अलग भी सोचते हैं,
भूमि का मालिकाना हक़ महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में सहायता करता है। वे खेती कर सकती हैं, फसल उगा सकती हैं और बेच सकती हैं, या जमीन को पट्टे पर देकर आय प्राप्त कर सकती हैं। इससे उन्हें अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने और वित्तीय सुरक्षा हासिल करने में मदद मिलती है।भूमि पर अधिकार होने से महिलाओं को अपने जीवन और भविष्य के फैसले लेने की शक्ति मिलती है। वे यह तय कर सकती हैं कि जमीन का इस्तेमाल कैसे किया जाए, क्या फसल उगाई जाए और आय का कैसे प्रबंधन किया जाए। इससे उनका सामाजिक दायरा बढ़ता है और परिवार में उनकी स्थिति मजबूत होती है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- महिलाओं के खिलाफ हिंसा और भेदभाव को खत्म करने के लिए, जागरूकता बढ़ाने और सामाजिक रीति-रिवाजों में बदलाव लाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? *----- लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने में पुरुषों और लड़कों की भूमिका क्या होनी चाहिए ? *----- महिलाओं के लिए सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने में मीडिया और नागरिक समाज क्या भूमिका आप देखते हैं?
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
दोस्तों, क्या आपको भी लगता है कि महिलाओं को उनके अधिकार दिए जाने चाहिए, घर परिवार के आर्थिक मसलों पर उन्हें शामिल किया जाना चाहिए, जो पुरुष अपना तनख्वाह और खेती की कमाई अपनी पत्नियों को सौंप देते हैं और इसको सशक्तिकरण मानते हैं वह क्यों महिलाओं को संपत्ति का आधा हिस्सा उन्हें देकर कहें कि परिवार को चलाने बच्चों का पढ़ाने और आगे बढ़ने में मदद करने के लिए आवश्यक निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं। *-----महिलाओं के गरीबी के चक्र को तोड़ने में आर्थिक अवसरों और सामाजिक सुरक्षा उपायों तक पहुंच कैसे बढ़ाई जा सकती है? *-----महिलाओं के लिए रोजगार के अवसरों को कैसे बढ़ाया जा सकता है? *-----महिलाओं के जीवन में गरीबी पर काबू पाया जा सके, इसमें सरकार, व्यवसाय और नागरिक समाज की क्या भूमिका है?
उत्तर प्रदेश राज्य के श्रावस्ती जिला से गीता यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से राधा देवी से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि महिलाओं को जन्म लेते ही परिवार वाले पराया धन कह देते हैं। जब लड़की 18 साल की होती है, तो उसकी शादी कर देते हैं। ऐसे में वो मायके के अधिकार से वंचित कर दी जाती है। जब वही महिला ससुराल आती है, तो वहां कहा जाता है की ये पराये घर से आयी है। इसके साथ ही कई कारणों से उन्हें प्रताड़ना भी झेलना पड़ता है। साथ ही उन्हें ससुराल में भी कोई हिस्सा संपत्ति में नहीं दिया जाता है। इन सभी चीजों से सरकार वाकिफ होते हुए भी कोई ठोस कदम नहीं लेती है। जिसके कारण महिलाओं को कहीं कोई अधिकार नहीं मिलता है
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला श्रावस्ती से मुस्कान वर्मा , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि महिलाओं को अक्सर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी जैसे क्षेत्रों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यह भेदभाव उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने से रोकता है। लड़कियों के खिलाफ घरेलू हिंसा जैसे बाल विवाह और अन्य जैसे बाल विवाह और दहेज भी बहुत खराब नियम हैं।
महिलाओं को अक्सर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी जैसे क्षेत्रों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यह भेदभाव उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने से रोकता है। महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, दहेज हत्या और बाल विवाह जैसी हिंसा लैंगिक असमानता का एक भयानक रूप है। यह हिंसा महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाती है और उन्हें डर और असुरक्षा में जीने के लिए मजबूर करती है। लैंगिक असमानता गरीबी और असमानता को बढ़ावा देती है, क्योंकि महिलाएं अक्सर कम वेतन वाली नौकरियों में काम करती हैं और उन्हें भूमि और संपत्ति जैसे संसाधनों तक कम पहुंच होती है। दोस्तों, आप हमें बताइए कि *-----लैंगिक असमानता के मुख्य कारण क्या हैं? *-----आपके अनुसार से लैंगिक समानता को मिटाने के लिए भविष्य में क्या-क्या तरीके अपनाएँ जा सकते हैं? *-----साथ ही, लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए हम व्यक्तिगत रूप से क्या प्रयास कर सकते हैं?
उत्तरप्रदेश राज्य के श्रावस्ती ज़िला से जयलता यादव ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है कि वर्तमान में महिलाओं की समस्या विभिन्न है। जैसे : अशिक्षा ,घरेलू हिंसा ,अधिकारों की जानकारी का अभाव आदि ।लोग इनका शोषण करते है ,पुरुष द्वारा मानसिक रूप से दबाया जाता है। कई यातनाओं से महिला गुजरती है