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मेरा नाम विन्नू कुमारी है । मैं चौथी कक्षा में पढ़ती हूँ । प्राथमिक विद्यालय की रिया । मेरे पास पाँच बत्तख थीं । मेरे पास पानी में तैरती हुई पाँच बत्तख थीं । चोंगाई पानी में तैर रहे थे , फिर चोंगगैनी से पूछा गया , लेकिन एक बतख उड़ गई , और बाकी बच्चे । चार मेरे चार बत्तख थे , चार मेरे चार बत्तख थे , पानी महंगा था , पानी महंगा था । और जब वे नीचे पहुंचे , तो एक बतख उनके ऊपर से उड़ गई , और बाकी बच्चे थे । मेरे पास तीन बत्तख थीं । वे पानी में तैर रहे थे , वे पानी में तैर रहे थे , उन्हें नीचे जाने के लिए कहा गया , उन्हें नीचे जाने के लिए कहा गया । एक बतख उड़ गई फिर बाकी बच्चे , मेरे पास दो बतख थे , मेरे पास दो बतख पानी में तैर रहे थे । गया लेकिन सोचता हुआ नीचे चला गया तो उसने पूछा कि मेरी एक बत्तख उड़ गई बाकी बच्चे पानी में मेरी बत्तखों में से एक थे
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मेरा नाम अंजरी वाली क्लास के लिए पकूं पता चिरैया मैं एक कहानी बयां करने जा रहा हूँ बयां हमारी चडिया रानीती अक्ला बनाती हुई लाल पर । सूखने वाले खेतों से भी उफनती नदियों से जो पानी आपको भरता है , उसे आपको आग में जलाने और गंगा का ठंडा पानी पीने न दें ।
मेरा नाम बिन्नू कुमारी है मैं चौथी कक्षा में पढ़ रही हूँ , प्राथमिक विद्यालय , चिराहैया चमक रही है , जो आपका नाम है । लाल धूप फैल रही है , कीर्ति तुम बन कर चमक रही है , चमनीद चमक रहा है , लाखों तार तुम्हारा गायक बन कर चमक रहा है । हां , किरणें आप पर चमक रही हैं , सभी रोशनी के स्वामी , जब भी आप मुझे धमकी देते हैं , मेरे जीवन की पचास किरणों को चमकाने के लिए धन्यवाद ।
मेरा नाम पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाला अंशु है । प्राथमिक विद्यालय चिरैया में , मैं एक कविता पढ़ना चाहता हूँ । अपना सिर पहाड़ की तरह ऊपर उठाते हुए आप भी समुद्र बन जाएँगे । हाथ हिलाकर आप अपने दिल की गहराई को महसूस करेंगे । आप क्या कहते हैं ? उठो , नीचे गिरो और वातावरण को भर दो । लो भर लो अपने में मिट्टी में मी थी मारे दिलुभार कतरी कहते हैं कि आप जितना हैं उतना मत छोड़िए । तीर परभर नहीं का कहना है कि फैलाओ मत अपनी पूरी दुनिया को कवर मत करो ।
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