मेरा नाम पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाला अंशु है । प्राथमिक विद्यालय चिरैया में , मैं एक कविता पढ़ना चाहता हूँ । अपना सिर पहाड़ की तरह ऊपर उठाते हुए आप भी समुद्र बन जाएँगे । हाथ हिलाकर आप अपने दिल की गहराई को महसूस करेंगे । आप क्या कहते हैं ? उठो , नीचे गिरो और वातावरण को भर दो । लो भर लो अपने में मिट्टी में मी थी मारे दिलुभार कतरी कहते हैं कि आप जितना हैं उतना मत छोड़िए । तीर परभर नहीं का कहना है कि फैलाओ मत अपनी पूरी दुनिया को कवर मत करो ।