मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?
मैं संतोष कुमार श्रीवास्तव ग्राम पंचायत सेमरी घटही विकासखंड मिहिनपुरवा मैं बहराइच मोबाइल वाणी से जुड़ा हुआ हूं और मैं सामाजिक कार्यकर्ता हूं। मैं आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से और माननीय मुख्य मंत्री जी से कहा चाह रहा हू किमैं गांव का निवासी हूं और देखता हूं भारत की 70% जनसंख्या गांव में निवास करती है लेकिन गांव के युवा बहुत ज्यादा मात्रा में पलायन कर रहे है इसका क्या कारण है इसका कारण है कि विरोजगारी। ओ व्यवस्थाएं जो शहरी क्षेत्रों में है गांव में नही है इस लिए गांव का युवा शहर शहर भटक रहा है। क्षेत्र में कंपनिया स्थापित हो। जिससे विरोजगारी काम होगा। धन्यवाद।
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मैं संतोष श्रीवास्तव ग्राम सेमरी घटही विकास खंड मिहिनपुरवा जनपत बहराइच से मै एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते मेरी एक जिम्मेदारी बनती है की मै बिकाशखंड का विकास करवाऊं और उनके जीविका का श्रोत खेती है कभी कभी बाढ़ से फसल नास्ट हो जाती है और किसान खेती से मार खा जाते है और बहुत नुक्सान हो जाता हैं तो लोग पलायन करने लगते है किसी तरह से अपना जीवन यापन करते हैं ऐसे स्थिति में जो गन्ने की फसल है और अगर गन्ने की फैक्ट्रिया एक दो लग जाए तो क्षेत्र के लोग अपना भविष्य सही कर पाए। और आईआईटी कॉलेज भी खुल जाए तो बच्चे बाहर के बजाय यहां अच्छे से पढ़ सके। धन्यवाद।
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