उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से विशाल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि हमारे समाज की महिलाएं शादी,मुंडन,इत्यादि समारोह में महंगा कपड़ा पहनना पसंद करती हैं। बहू - बेटियां स्टेज पर मोबाइल तथा कैमरों के द्वारा फोटो खिंचवाना पसंद करती हैं। समारोह के बाद महंगे कपड़े तह लगा कर हमेशा के लिए रख दिया जाता है। धारावाहिक देख कर लोग बिगड़ते जा रहे हैं। समाज में एक - दूसरे को देख कर लोग जरुरत से ज्यादा खर्चा कर रहे हैं, भले ही सामर्थ हो या नही। महिलाएं बहुत लापरवाह हो रही हैं और इसी कारण वो लापता भी हो रही हैं

सत्तारूढ़ दल के लोगों या मौजूदा विधायक, सांसद या अधिकारी की मिलीभगत से उन्हें रोकने के लिए बड़े पैमाने पर अवैध तरीके से बेलें निकाली जा रही हैं। जो रक्षक है वह सभी का रक्षक होना चाहिए, तो उसका स्तर नहीं दिखाई देगा

उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से साक्षी तिवारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि मनरेगा भारत सरकार के प्रमुख योजना है जो ग्रामीण लोगों को रोजगार प्रदान करती है।यह ग्रामीण लोगों को रोजगार प्रदान करता है। इस योजना के तहत 100 दिनों का काम करना पड़ता है, जिसमें महिलाओं का भी विशेष योगदान होता है। महिलाएँ मनरेगा के काम में शामिल हैं। आर्थिक स्वतंत्रता और सामाजिक सम्मान प्रदान किया जाता है। भारत सरकार की यह योजना महिलाओं को मजदूरी देकर उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करती है और उन्हें आत्मनिर्भर बनाती है।

हमारे समाज में लोग कहते हैं कि बेटे-बेटी में कोई अंतर नहीं है, लेकिन आज भी ऐसा नहीं है। और बेटी को अलग करें लैंगिक असमानता को बढ़ावा देने वाला एक प्रमुख कारक बेटों की प्राथमिकता है क्योंकि उन्हें लड़कियों की तुलना में अधिक उपयोगी माना जाता है। वर्षा को विशेष अधिकार दिए जाते हैं और इसे उनके परिवार के लिए एक अतिरिक्त स्थिति के रूप में देखा जाता है। लोग कहते हैं कि पुरुष पूर्वज है, पुरुष संतान पूर्वज है और माता-पिता पूर्वज हैं। महिलाओं को मृतक की मृत्यु के बाद कम से कम एक बेटा पैदा करने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए श्राद्ध समारोह करने के लिए मजबूर किया जाता है।

उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से आनंद यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं एवं लड़कियों की सुरक्षा एवं संरक्षता भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य के विषय हैं, इस प्रकार राज्य सरकारें महिलाओं और लड़कियों सहित नागरिकों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं। हालाँकि देश में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा देश की सरकार के लिए पहली प्राथमिकता है।

उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से आनंद यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि व्यक्तियों के पास मानव अधिकार हैं जो विभिन्न रूप से उनकी रक्षा करते हैं।जैसा की शिक्षित होने , वोट देने का अधिकार,संपत्ति रखने का अधिकार जैसे कई अधिकार हैं और इन अधिकारों के बाद भी दुनिया के विभिन्न हिस्सों में महिलाएं और लड़कियां अभी भी लिंग के आधार पर भेदभाव का शिकार हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से आनंद यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के पीछे शिक्षित महिलाओं का अमूल्य योगदान होता है। कई बार यह देखा जाता है कि अनपढ़ महिलाओं की जल्द ही शादी हो जाती है और वे जल्द ही एक बच्चे को जन्म देती हैं। शिक्षित महिलाएँ ऐसा कदम सोच-समझकर उठाती हैं जिससे देश की बढ़ती हुई जनसँख्या पर रोकथाम किया जा सके है।आज शिक्षित महिला से समाज को लाभ मिलता है

उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से आनंद यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि वर्तमान में समाज में महिलाओं की स्थिति बहुत दयनीय है। कभी दहेज़ के लोभ में उनका शोषण किया जाता है। तो कभी घरेलू हिंसा की प्रताड़ना सहनी पड़ती है। पुरूष के मानसिक दबाव ,अनाश्यक और बेरूखी से भी महिलाओं को मानसिक यातना से गुजरना पड़ रहा है। स्त्री अधिकार एवं स्वाभिमान आज भी समाज में सदियों पुरानी रूढ़ियों की बेड़ियों से मुक्त नहीं हैं।

ग्रामीण महिलाओं की क्या समस्या है, महिलाएं तभी खाना बनाती हैं जब पुरुष और बच्चे खा चुके होते हैं, यानी वे अंत में खाते हैं। इसलिए, भूख और कुपोषण की समस्या का कोई समाधान तब तक नहीं हो सकता जब तक कि सामाजिक एकरूपता, लैंगिक समानता और भूमि और अन्य संसाधनों का समान वितरण न हो।

भारत में जहां 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। इन चुनावों में एक तरफ राजनीतिक दल हैं जो सत्ता में आने के लिए मतदाताओं से उनका जीवन बेहतर बनाने के तमाम वादे कर रहे हैं, दूसरी तरफ मतदाता हैं जिनसे पूछा ही नहीं जा रहा है कि वास्तव में उन्हें क्या चाहिए। राजनीतिक दलों ने भले ही मतदाताओं को उनके हाल पर छोड़ दिया हो लेकिन अलग-अलग समुदायो से आने वाले महिला समूहों ने गांव, जिला और राज्य स्तर पर चुनाव में भाग ले रहे राजनीतिर दलों के साथ साझा करने के लिए घोषणापत्र तैयार किया है। इन समूहों में घुमंतू जनजातियों की महिलाओं से लेकर गन्ना काटने वालों सहित, छोटे सामाजिक और श्रमिक समूह मौजूदा चुनाव लड़ रहे राजनेताओं और पार्टियों के सामने अपनी मांगों का घोषणा पत्र पेश कर रहे हैं। क्या है उनकी मांगे ? जानने के लिए इस ऑडियो को सुने