उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय मोबाइल वाणी के माध्यम से चाचा जी से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि हमारे देश की कानून व नीति दोनों ही सही है उसमे कोई कमी नहीं है। लोगों के विचारों में कमी है,बहुत से लोग शिक्षित नहीं हैं, और इसका कार्यान्वयन सही से नहीं होता है, क्योंकि यह एक पुरुष प्रधान देश है और इसका कार्यान्वयन भी पुरुष वर्गों द्वारा किया जाता है, इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है और हमारे संविधान द्वारा बनाए गए कानून जो की भूमि संशोधन को लेकर है वो सभी सही हैं, लेकिन थोड़ा सोच बदलने की जरुरत है। अब हमारे देश में कोई भेदभाव नहीं है और महिलाओं को संरक्षण भी मिल रहा है और उनका सशक्तिकरण भी हो रहा है। लेकिन कुछ महिलायें अज्ञानता के कारण अपने अधिकारों को नहीं जानती है, इसलिए वह बोल नहीं पाती है, इसलिए उसका शोषण किया जाता है और जो भी बोलता है उसे उसका अधिकार मिलता है। बहुत सारी नीतियाँ बदल गई हैं और सब कुछ स्पष्ट है। कुछ जागरूकता की कमी है की महिलाएं अपने अधिकारों की मांग नहीं कर पा रही हैं। समाज चाहे जो भी सोचे महिलाओं को सरकार के नीतियों से चलना होगा और अपने अधिकारों की मांग करनी होगी। महिलाओं को कानून में अधिकार दिए गए है , तो महिलाओं को कानून का सहारा लेना चाहिए अपने हक़ के लिए

उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कविता से साक्षात्कार लिया।कविता ने बताया कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना बहुत जरुरी है। देश की अधिकांश औरतों के पास रोजगार नही है। इसलिए लोग उनको पिछड़ा मानते हैं। साथ ही पुरुषों के समान औरतों का सम्मान नही होता है। भूमि अधिकार मिलने से महिला रोजगार कर पाएंगी और अपना जीवन अच्छे तरीके से जी पाएंगी

उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पाण्डेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से रूबी से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि हमारे देश के गाँवों का मतलब खेती करने वाली औरतें हैं। महिलाएं खेतों में काम करती हैं लेकिन इससे उनको कोई लाभ नहीं मिलता है। लड़कियों को पढ़ाना लिखाना चाहिए ताकि उन्हें अच्छे जगह कुछ काम मिल सके.वे अपनी बेटियों को पढ़ा लिखा रही हैं ताकि उन्हें उनकी तरह जिंदगी ना काटनी पड़े। अगर शिक्षा है तो इस तरह की जिंदगी नहीं काटनी पड़ेगी। महिलाये जो खेतों में काम करती हैं उन्हें दिन भर मेहनत करनी पड़ती है लेकिन जो महिलाएं शिक्षित होती हैं और कहीं ऑफिस में काम करती उन्हें केवल आठ घंटे काम करना पड़ता है। साथ ही उन्होंने बताया कि महिलाएं दिन भर काम करती हैं ,उन्हें घर पर भी काम करना पड़ता है लेकिन वहीँ पुरूष केवल बाहर काम करते हैं। एक महिला जितना चाहे उतना काम कर सकती है, लेकिन उसे कोई अधिकार नहीं दिया जाता है महिलाओं को बचपन से ही यह एहसास कराया जाता है कि वे इस घर की नहीं हैं एक न एक दिन उनको दूसरे के घर जाना है । शादी के बाद महिला को कहा जाता है कि उनका उस घर में कुछ नहीं है अगर आदमी समझदार है तो महिलाओं को उनका अधिकार मिलेगा और अगर पति नासमझ है तो उन्हें कुछ नहीं मिलेगा। औरत अगर खेती कर रही तो उनका हाथ खाली है कुछ भी नहीं है। पैसा है तो सबकुछ है और पैसा तभी है जब महिला शिक्षित रहेंगी। उनका कहना है वे पढ़ लिख नहीं पायी इसलिए खेतों में काम करती हैं लेकिन वे अपनी बेटियों को पढ़ा लिखा रही हैं ताकि वे आगे बढ़ पाए

उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय मोबाइल वाणी के माध्यम ग्राम गंगापुर के निवासी मुकेश आनंद पांडे से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने ने बताया की महिलाओं का विकास भी संभव है और ऐसा नहीं है कि उन्हें प्राथमिकता नहीं दी जा रही है। जब आपके पास समान अधिकार होते हैं तो आपको उतनी ही पारदर्शिता मिलती है,महिलाओं को शिक्षा और स्वास्थ्य और आर्थिक अवसर प्रदान करके ग्रामीण विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है, इसमें सरकार का पूरा योगदान होना चाहिए। जो महिलाएं शिक्षित और बेरोज़गार है और घर पर बैठी हैं, वे अपने रोजगार को बढ़ावा दे सकती हैं।पहले महिलाओं का शोषण होता था, लेकिन जो नई सरकारें आ रही हैं, उन्होंने ऐसा प्रावधान किया है, जिसके लालच में व्यक्ति सब महिलाओं के नाम करता है

उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय मोबाइल वाणी के माध्यम से एक श्रोता से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि अपने घर खेतों में काम करने पर महिलाओं को उनका मजदूरी नहीं मिलता दूसरों के खेतों में काम करने पर उन्हें मजदूरी दिया जाता है। अभी महिलाओं को कुछ अधिकार मिल रहे हैं लेकिन यदि खेती में उन्हें मौकामिले कुछ करने का तो बहुत कुछ कर सकती हैं। महिलाएं शिक्षित होंगी तो अपने आर्थिक स्थिति को सुधार सकती हैं ,सकल घरेलू आय को भी बढ़ावा मिलेगा। उनकी शिक्षा राष्ट्रीय आय को बढ़ाता है। महिला शिक्षा एक अच्छे समाज के निर्माण में मदद करता है। महिलाओं को उनके अधिकार मिले इसके लिए बहुत सारे फाउंडेशन चल रहे हैं जिसमे सरकार द्वारा सब्सिडी भी दिया जाता है जिससे महिलाएं आर्थिक लाभ कमा सकती हैं।साथ ही वे सिलाई काभी काम कर सकती हैं। उनका कहना है कि महिलाओं को अधिकार देने के लिए पुरुषों को आगे आना होगा। इससे समाज में सुधार भी आएगा

उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से स्थानीय निवासी नीलम्बुज पांडे से बातचीत की। उन्होंने बताया कि ग्रामीण इलाकों में महिलाएं अभी भी सत्तर प्रतिशत पिछड़ी हुई हैं, इसका मुख्य कारण यह है कि छात्राएँ यह अच्छा है कि महिलाओं के पास कोई रोजगार नहीं है, इसके अलावा महिला उत्पीड़न की भी कई समस्याएं हैं क्योंकि कुछ पुरुष हैं जो महिलाओं को परेशान करते हैं, उन्हें पीटते हैं, आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं। गाँव की पैंतालीस से पचास प्रतिशत महिलाएँ अब ऐसी हैं जो अपने निर्णय लेने में अक्षम हैं क्योंकि इसका मुख्य कारण यह है कि उन्हें बाहर निकलने की अनुमति नहीं है, महिलाओं को उच्च बंधन में रखा जाता है और इसके अलावा, महिलाएं शिक्षित नहीं होती हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से सुहाना खान से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि महिलाएँ आज भी बहुत पिछड़ी हुई हैं, लेकिन पहले से कुछ बदलाव आया है, क्योंकि पहले महिलाओं को बहुत दबाव में रखा जाता था, उन्हें शिक्षा भी नहीं दी जाती थी, उन्हें पढ़ाया भी नहीं जाता था। लेकिन पहले से कुछ बदलाव आया है, लेकिन महिलाएं अभी भी बहुत पिछड़ी हुई हैं। गाँवों में और शहरों में देखा जाये तो महिलाएँ अभी भी बहुत पीछे हैं। उन्हें समान अधिकार नहीं दिए जाते हैं। अभी भी महिलाओं को निर्णय लेने की अनुमति नहीं है, उन्हें कभी भी निर्णय लेने की अनुमति नहीं दी गई है, भले ही वे अपने घर में हों, उनके पिता-भाई घर पर निर्णय लेते हैं, ससुराल वाले या उनके पति घर पर निर्णय लेते हैं। उन्हें कभी निर्णय लेने की अनुमति नहीं होती है। महिलाओं को बहुत सारे लाभ मिल सकते हैं अगर उन्हें भूमि मिलती है जैसे कि वे खेती कर सकते हैं और अपने घर अपने बच्चों को चला सकते हैं। पुरुष वर्ग महिलाओं को भूमि देना ही नहीं चाहता है।

उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय मोबाइल वाणी के माध्यम से बैजनाथ से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने ने बताया की महिलाएं पिछड़ी नहीं हैं, विशेष रूप से राजनीतिक रूप से वे संरक्षित हैं। पहले महिलाएँ कमजोर थीं, अब वे कमजोर नहीं है । लेकिन उनके पास अधिक गुण और अवगुण हैं और उन्हें जो संरक्षण दिया गया है वह बहुत अच्छा है। इन सभी क्षेत्रों में समान भागीदारी है, भारतीय महिलायें अब आगे हो रही है। जिसके पास शिक्षा है वह अपने पैरों पर खड़ी है, वह आत्मनिर्भर है, लेकिन जो अनपढ़ हैं, जो अभी अपने पैरों पर खड़े नहीं हैं उन्हें भी सरकार अब जिला समूह की योजना चला रही है और योजनाओ के माध्यम से लाभ मिल रहा है। लेकिन उन्हें थोड़ा ज्ञान का आभाव है।कई महिलाएं कहती हैं कि इसका दुरुपयोग होता है, क्योंकि हमने समाज में देखा है, अपने पति की मृत्यु के बाद, उन्हें भूमि का अधिकार मिला, फिर उन्होंने दूसरे से शादी की और उस भूमि से इनकार कर दिया। एक न्यूनतम व्यवस्था भी होनी चाहिए ताकि कोई दुरुपयोग न हो और गुण बरकरार रहें और सरकार द्वारा उनकी रक्षा की जाये

उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से साक्षी तिवारी मोबाइल वाणी के माध्यम से राजू से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि महिलाओं को भूमि में अधिकार मिलना चाहिए जिससे वे अपने बच्चों को पढ़ा लिखा सकते हैं। जमीन में अधिकार मिलने से महिलाएं समाज में आगे बढ़ सकते हैं और बच्चों को अच्छी शिक्षा भी दिला सकती हैं।महिलाओं को जमीन में अधिकार मिल रहे हैं तो महिलाएं समाज में हर बदलाव ला सकती हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय ने स्थानीय निवासी माला से मोबाइल वाणी के माध्यम से बातचीत की। माला ने बताया कि महिलाओं को भूमि का अधिकार मिलना चाहिए पुरुषों के साथ यह समस्या है कि इससे उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है, यदि महिलाओं को जमीन दी जाये तो। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से प्रभावित महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया गया। स्वतंत्रता आंदोलन से पहले महिलाओं को बहुत दबाया जाता था और इसका मतलब है कि बहुत सारी प्रथाएं थीं , तो महिलाएं पिछले स्वतंत्रता आंदोलन से प्रभावित होकर अब आगे बढ़ रही हैं । महिलाएं हर विभाग में बहुत आगे हैं, पहले महिलाएं बहुत उदास हुआ करती थीं। परिवार के सदस्य भी उन्हें दबाते थे।