उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडे ने मोबाइल वाणी के माध्यम से करुणा से बातचीत की। करुणा ने बताया कि जिस तरह पुरुषों को भूमि पर अधिकार मिलता है, उसी तरह क्या महिलाओं को भी भूमि पर समान अधिकार मिलना चाहिए? अगर आपके बच्चे हैं, तो सभी बच्चों को लड़कों का अधिकार है, तो लड़कियों को क्यों नहीं, अगर बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में समान अधिकार होना चाहिए, अगर वे अपना अधिकार लेते हैं, तो क्या इसका मतलब रिश्ते में दरार है? सदा है जी तो आयेगा ही आयेगा क्योंकि शादी के बाद लड़कियाँ चली जाती हैं, लोगों को लगता है कि उनका रिश्ता खत्म हो गया है और जब हम अपने अधिकारों के लिए बोलते हैं, तो यह वास्तव में सभी के भीतर होता है। उन्हें लगता है कि लड़की की शादी हो गई और वे यहाँ से चले गए, उनका कोई रिश्ता नहीं था, न ही संपत्ति में या किसी भी चीज़ में और फिर चले जाते हैं। यह उनकी सोच है। अगर हम अपने अधिकार के लिए कहें कि हमें संपत्ति चाहिए, तो वे नाराजगी दिखाएंगे। सबनाराजी जी, क्या आपको लगता है कि महिलाएं अपने अधिकारों की मांग इसलिए नहीं कर पा रही हैं क्योंकि वे कहीं अशिक्षित हैं? और अशिक्षित भी अगली पीढ़ी के लिए अपना जीवन खुद बनाने जा रहे हैं। हम शिक्षक हैं। एक शिक्षक है। गाँव से कुछ औरतें भी आती हैं। वे अभी भी कहते हैं कि अगर लड़कियों को पांच साल तक पढ़ाया जाता है, तो वे असुरक्षित रह जाएंगी। तब उनकी भी वही सोच होगी।