उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से विशाल सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से दिनेश शारदा से बातचीत की। बातचीत में दिनेश शारदा का कहना है कि महिलाओं तथा बेटियों को मायके या ससुराल में बराबर का हिस्सा होना चाहिए उन्हें बराबर का अधिकार मिलना चाहिए। उनका कहना है सबकी अलग अलग सोच है किसी के सोच को बदल नहीं सकते लेकिन जो क़ानूनी अधिकार हैं जैसे जो लड़की को पैदा किये है जो अधिकार लड़का का है लड़की को भी मिलना चाहिए माने या ना माने ये अलग बात है। लड़का और लड़की का बराबर का हिस्सा होना चाहिए।शादी के पहले और बाद में भी लड़कियों का अधिकार रहता है। उनका कहना है लड़कों की तुलना में लड़कियों को शिक्षा में अधिक बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि लड़के और लड़की में अंतर नहीं किया जाना चाहिए, दोनों को पढ़ाना चाहिए। भारत सरकार द्वारा ऐसी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं जो अनपढ़ या शिक्षित महिलाएं सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा रही हैं इसमें जो क्षेत्र का बात हैं, कोई क्षेत्र आगे हैं, कहीं पिछड़े हुए हैं, जहां आगे क्षेत्र है, उन्हें अधिक लाभ मिलेगा और जहां पिछड़ेपन है वहां धीरे-धीरे बाद में लाभ होगा, लेकिन धीरे-धीरे हर कोई साक्षर हो रहा है। ऐसा कहीं नहीं है कि कोई भी साक्षर नहीं हो रहा है। हर जिले का लगभग हर गाँव शिक्षित हो रहा है। महिलाएं अब खुद की रक्षा करने और अपने अधिकार लेने के लिए आगे आ रही हैं। महिलाओं को पहले ही आरक्षण दिया जा चुका था। लेकिन अब आरक्षण के साथ-साथ उन्हें अधिकार भी मिलने लगे हैं। पहले लोग अज्ञानी थे, अब वे अज्ञानी नहीं हैं, हर कोई जानकार हो गया है, वे समाज की देखभाल करते हैं, वे अपनी शिक्षा का ध्यान रखते हैं और कुछ जो बचे हुए हैं उनमें से कुछ भी धीरे-धीरे आएंगे और उन्हें भी काम मिलेगा वे एक-दूसरे को देखकर भी जागरूक होंगे।