उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला के कटरा गाँव से शालिनी पांडेय मोबाइल वाणी के माध्यम से सरिता शुक्ला से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि जैसे बेटे का अपने पिता की संपत्ति पर पूरा अधिकार है, वैसे ही अगर बेटा और बेटी है तो दोनों का इसमें अधिकार होना चाहिए। हमारे समाज में यह विचारधारा है कि लड़कियाँ दूसरे घर की संपत्ति हैं, हम उन्हें हमेशा के लिए घर पर नहीं रख सकते हैं, इसलिए विशेष रूप से यह देखा जाता है कि हर पिता के पास अपने बेटे को समान रूप से विभाजित करने और शादी करने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं होता है। इसलिए बेटियों को उनका हिस्सा नहीं मिल पाता है। लड़कियां अपने पिता की सम्पत्ति में हिस्सा लेना भी नहीं चाहती हैं उनका कहना है कि सम्पति में हिस्सा लेने से उनके भाई-बहन के रिश्ते में दूरी आ सकती है। वे मायके से अपना रिश्ता खराब नहीं करना चाहती हैं। ससुराल में चाहे उन्हें कितना भी प्यार मिल जाए लेकिन मायके का सहारा ना मिलने पर वे टूट जाती हैं। यही कारण है कि वे अपना हिस्सा लेना नहीं चाहती हैं। उनका मानना है भाई के पास अपने आधे अधिकार को लेने के लिए पर्याप्त संपत्ति नहीं है और वे संतुष्ट हैं और फिर उनकी संपत्ति उनका भाई है।