उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय मोबाइल वाणी के माध्यम से दुर्गेश पांडेय से बातचीत की।दुर्गेश पांडेय का कहना है कि पिता की संपत्ति के दो नियम होते हैं अगर बेटे हैं, तो जाहिर सी बात है कोई भी पिता लड़कियों को पढ़ाता लिखाता है फिर उनकी अच्छे घर में शादी करता है सामर्थ्य के अनुसार, क्योंकि हमारा समाज गंदा है यहां दहेज प्रथा चलता है, चाहे वह प्रत्यक्ष हो या पूर्ण, इसे उपहार के रूप में देना पड़ता है। अगर शादी अच्छी है तो उसे पैसा देना पड़ेगा । अगर पैसे नहीं देंगे तो वो शादी एक अच्छी शादी नहीं होगी।ऐसी अवस्था में पैसे देने पड़ते हैं। हर एक पिता दे देता है कि लड़की की शादी एक अच्छे परिवार में हो जाए। दूसरी बात यह है कि यदि शादी अच्छे परिवार में हो गयी तो वहां की प्रॉपर्टी उसकी हो जाती है वहां उसका हक़ है लेकिन इसके पहलु और है ,कि यदि पिता किसी कारण वश बेटियों की शादी नहीं कर पाया और मर गया ,तो जो भाई लोग होते हैं वे उसपर ध्यान नहीं देते हैं। ऐसी हालात में हमारी सरकार द्वारा राज्य संहिता में एक कानून पारित किया था कि अगर कोई लड़की है और वह शादीशुदा नहीं है,तो उसके जितने भी बच्चे हैं उनको बराबर का हक मिलेगा। इसका मतलब है कि पिता यदि नहीं है तो भाइयों में डर रहेगा कि हमें संपत्ति नहीं मिलेगी और अगर हम इसे लेते हैं, तो अगर दो बीघा जमीन है तो कम से कम एक बीघा का पैसा उसमें लगा दें तो यह बहुत अच्छा संरक्षण मिला कानून के द्वारा और यह अच्छा भी है। वैसे संपत्ति में जब बेटा नहीं होता है तो बेटी को अधिकार मिलना ही चाहिए, यह संरक्षण हमारे कानून में है और बेटियों को मिलता भी है। अगर बेटी शादीशुदा नहीं है औरअविवाहिता घर पर है, पिता मर गया है, तो उनका भी अधिकार है, यह भी अच्छी बात है। यह कानून है और हम इसका समर्थन करते हैं और यही अच्छाई है, यह हमारे देश में बहुत अच्छा कानून है।प्रॉपर्टी है तो उसका महत्व है। उनका कहना है कुछ बहने खुद भी हिस्सा नहीं लेना चाहती हैं क्योंकि भाई के साथ रिश्ते अच्छे, मीठे हैं और एक जगह ससुराल में संपत्ति ज्यादा होती है तो लड़कियां चाहती हैं कि उनके भाई को भी खुश रहने दें अगर उनकी पिता ने अच्छी शादी की है और अच्छी तरह से रह रहे हैं, तो उन्हें भी उनका अधिकार है।