उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पाण्डेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से रूबी से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि हमारे देश के गाँवों का मतलब खेती करने वाली औरतें हैं। महिलाएं खेतों में काम करती हैं लेकिन इससे उनको कोई लाभ नहीं मिलता है। लड़कियों को पढ़ाना लिखाना चाहिए ताकि उन्हें अच्छे जगह कुछ काम मिल सके.वे अपनी बेटियों को पढ़ा लिखा रही हैं ताकि उन्हें उनकी तरह जिंदगी ना काटनी पड़े। अगर शिक्षा है तो इस तरह की जिंदगी नहीं काटनी पड़ेगी। महिलाये जो खेतों में काम करती हैं उन्हें दिन भर मेहनत करनी पड़ती है लेकिन जो महिलाएं शिक्षित होती हैं और कहीं ऑफिस में काम करती उन्हें केवल आठ घंटे काम करना पड़ता है। साथ ही उन्होंने बताया कि महिलाएं दिन भर काम करती हैं ,उन्हें घर पर भी काम करना पड़ता है लेकिन वहीँ पुरूष केवल बाहर काम करते हैं। एक महिला जितना चाहे उतना काम कर सकती है, लेकिन उसे कोई अधिकार नहीं दिया जाता है महिलाओं को बचपन से ही यह एहसास कराया जाता है कि वे इस घर की नहीं हैं एक न एक दिन उनको दूसरे के घर जाना है । शादी के बाद महिला को कहा जाता है कि उनका उस घर में कुछ नहीं है अगर आदमी समझदार है तो महिलाओं को उनका अधिकार मिलेगा और अगर पति नासमझ है तो उन्हें कुछ नहीं मिलेगा। औरत अगर खेती कर रही तो उनका हाथ खाली है कुछ भी नहीं है। पैसा है तो सबकुछ है और पैसा तभी है जब महिला शिक्षित रहेंगी। उनका कहना है वे पढ़ लिख नहीं पायी इसलिए खेतों में काम करती हैं लेकिन वे अपनी बेटियों को पढ़ा लिखा रही हैं ताकि वे आगे बढ़ पाए