उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय मोबाइल वाणी के माध्यम से बैजनाथ पांडेय से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया की स्व-सहायता समूहों में कुछ महिलाओं को अपने खेत को व्यवस्थित करना चाहिए और पट्टे पर लेना चाहिए और उस पर काम करना चाहिए। अब जब वे एक संयुक्त परिवार में काम करते हैं, तो भारत एक पुरुष प्रधान देश है, तो इसमें जो आय होती है वह पुरुष स्वयं लेते हैं, वे खेतों में श्रम भी करते हैं, इसलिए उन्हें यह नहीं मिलता है, इसलिए अगर वे संगठित होकर और सरकार द्वारा कई योजनाएं चल रही हैं उसमे महिलायें व्यवस्थित होकर अपना काम करेंगे तो उनकी आय का स्तर सही होगा। ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा की कमी है इस वजह से महिलाये पिछड़ रही है और गाँव में स्व-रोजगार प्रशिक्षण और प्रशिक्षण केंद्र नहीं है, इस वजह से भी महिलायें सशक्त नहीं हो पा रही है। ग्रामीण इलाकों के लोग इतने जागरूक नहीं हैं, कम से कम उन्हें सरकार द्वारा जगाया जाना चाहिए। ग्रामीण इलाकों में शिविर लगाए जाएं, प्रशिक्षण केंद्र खोले जाएं, तभी विकास होगा। भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि गाँव के स्तर पर कोई योजना नहीं आती, उन सभी को कर्मचारियों द्वारा लूटा और खाया जाता है और लोग अभी भी पिछड़े हैं।