उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि घूंघट का अभ्यास केवल चेहरे को ढंकने का काम नहीं करता है, बल्कि यह समाज में उत्पीड़न के खिलाफ उनकी आवाज़ और अधिकारों को कुचलता है। इस वजह से महिलाएं खुलकर बोल नहीं पाती हैं। सवाल यह है कि क्या इन महिलाओं को अपनी इच्छानुसार पहनने और कपड़े पहनने की स्वतंत्रता नहीं है