उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पाण्डेय मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि पितृसत्तात्मक सामाजिक संरचना भी महिलाओं के लिए एक बाधा है। भारतीय राजनीति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की कमी एक प्रमुख कारण है।इसने एक धारणा को जन्म दिया कि राजनितिक एक पुरुषों का काम है और महिलायें नेतृत्व के काम के लिए उपयुक्त नहीं हैं।इसके अतिरिक्त महिलाओं से अक्सर घर की देखभाल और बच्चे की परवरिश जैसी भूमिकाओं के केंद्रित होने की उम्मीद की जाती है।महिलाओं के सामने एक और महत्वपूर्ण बाधा महिला उम्मीदवारों के लिए वित्तीय संसाधनों तक पहुंच की कमी है। अभियान पित्त पोषण अक्सर एक प्रमुख मुद्दा होता है क्योंकि उनके पास अक्सर पुरुषों के समान पित्त पोषण के अवसर नहीं होते हैं, जिससे उनके लिए प्रभावी अभियान चलाना और चुनाव जीतना मुश्किल हो जाता है।