उत्तरप्रदेश राज्य के बहराइच जिला से शालिनी पांडेय मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि भारतीय समाज में महिलाओं को अक्सर घरेलू काम के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता है। घर में महिलाओं का मुख्य काम भोजन की व्यवस्था करना और बच्चों की परवरिश करना है। यह अक्सर देखा गया है कि घर में जो निर्णय लिए जाते हैं उनमें महिलाओं की कोई भूमिका नहीं होती है। महिलाओं के मुद्दों से संबंधित विभिन्न सामाजिक संगठनों से भी महिलाओं की न्यूनतम संख्या लैंगिक असमानता की हानिकारक प्रकृति को व्यक्त करती है। आर्थिक क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं और पुरुषों की श्रम शक्ति में अंतर है। औद्योगिक क्षेत्रों में महिलाओं को अक्सर पुरुषों की तुलना में कम वेतन दिया जाता है।