नूहं जिले के इंडरी खंड के गाँव खोड की महिला सरपंच शहनाज को फ़र्जी शैक्षणिक दस्तावेज के चलते किया बर्खास्त
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रोहतक / ठेकेदार पर पंचायत में हमरा : फरसा मारा सिर फोड़ा, समझौते के लिए बुराया था; महिराओं से अभद्रता करने को लेकर हुआ झगड़ा
पुन्हाना: मालब गांव के लोग बिजली ना मिलने से परेशान।
मंडीखेड़ा हॉस्पिटल के सामने से मोटरसाइकिल चोरी।
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गांव नहेदा में 428 बच्चों पर एक भी अध्यापक नहीं, कैसे जलेगी शिक्षा की लौ बिना अध्यापक अंधकार में बच्चों का भविष्य, अभिभावक चिंतित शिक्षा के क्षेत्र में देश में सबसे पिछड़े जिलों में शामिल की सुधरने का नाम नहीं ले रही है। सरकार के दानों के बाद भी यहां के स्कूलों में अध्यापक के पद खती है। किसी स्कूल में दो अध्यक 400 से 500 बच्चों को पढ़ा रहे है कि स्कूल में अध्यापक है। ऐसे में जब अध्यापक ही नहीं होने तो स्कूल का रिजल्ट कैसे बेहतर हो सकता है यह जिम्मेदार अधिकारी भी जानते है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अति के द्वारा मिडिल स्कूल के बच्चे को राजकीय माध्यमिक विद्यालय में करीबन मुश्किल हो रहा है। यही कारण है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को केवल 5 ही है। वहीं मिडिल दाखिला दिलाने से अब लोग कतराने है। जिले 500 बच्चे प्राइमरी में हैं, जिन पर G.M.S.NAHEDA 16131 से क्षा प्रथमिकता वाले जिले नूह में भी शिक्षा विंग में करीब 426 बच्चों पर एक भी लगे है। एक ही जिले करते है। देखिए मिडिल स्कूल जिससे उनके बच्चों को प्रभावित का होना वास्तव में चिंता का आध्यापक है। प्रथम के डेटा के दर्जनों ऐसे है जो के बच्चों पर एक अध्यापक भी है। नहीं कही जब स्कूल में अध्यापकों की है। अध्यापकों की कमी तो जिले सभी के अध्यापकों की 11 को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी के स्कूलों में आम है। जिले के गांव नोटा निवासी एसएससी केशरमैन बसीर, शेर मोहम्मद जावेद, इमरत उर्फ अदरी, सरकर, सुनीता, सुबीरा और पूर्व सरपंच अन्य लोगों ने पहले हम स्कूल था जिसको वर्ष 2008 में अपडेट कर मिडिल स्कूल का दर्जा दिया गया। अपडेड होने के बाद से मिडिल स्कूल अध्यापक विहीन है। हम में करीब 500 बच्चे पढ़ाई करते हैं जिनपर केवल अध्यापक है उनमें से भी एक हेड है। स्कूल में अभी भी 11 पोस्ट है। मिडिल दिन में करीब 428 बच्चे पढ़ाई जगह खाती है। ग्रामीणों का कहना है बच्चों को शिक्षा देने के पक्ष नहीं करनी चाही तो कि भाजपा सरकार भगत में मेवात के 9406am भान ना उठना। अती स्कूल में अध्यापक नहीं होने से उनके बच्चे का को जाएगा। ग्रमीणों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में गरीब लोगों के बच्चे ही पढ़ते हैं। इसलिए सरकार को चाहिए कि सरकारी स्कूलों में से खाली पड़े पदों को भरा जाए, जिससे गरीब लोग भी अपने बच्चों को पढ़ । जारी रख सकें। जब अध्यापक नहीं हो यह पढाई कैसे पढ़ कर पाएंगी। उन्होंने सरकार से माग की है कि उनके स्कूल में अध्यापकों के सभी पदों को भरा जाए