भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा स्वदेशी प्लेटफॉर्म तकनीक का उपयोग करके ओमिक्रॉन से निपटने के लिए एमआरएनए-आधारित बूस्टर वैक्सीन विकसित की है। इसका विकास जेनोवा बायोफार्मास्यूटिकल्स द्वारा किया गया, इसे जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद द्वारा कार्यान्वित मिशन कोविड सुरक्षा के तहत सहायता दी गई है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
फैक्ट-चेक करने वाले मंचों को अब केंद्र सरकार से पंजीकरण प्राप्त करने की आवश्यकता हो सकती है. यह उनसे अधिक जवाबदेही मांगने की सरकारी योजना का हिस्सा है. एक रिपोर्ट में बताया है कि आगामी डिजिटल इंडिया विधेयक के तहत एक महत्वपूर्ण प्रावधान के रूप में वर्तमान में इस पर विचार किया जा रहा है, यह भारत के वर्तमान इंटरनेट कानून की जगह लेगा.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
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सोशल मीडिया में आए दिन कई तरह के दावों के साथ वीडियो और मैसेज वायरल होते रहते हैं। हाल ही में एक ऐसा ही मैसेज तेजी से लोगों के पास शेयर किया जा रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा सभी भारतीय यूजर्स को रू 239 का 28 दिन वाला रिचार्ज फ्री में दिया जा रहा है ताकि 2024 के चुनाव मे ज्यादा से ज्यादा लोग बीजेपी को वोट कर सकें और फिर से बीजेपी सरकार बन सके।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के मुताबिक 2022 में करीब 4.33 करोड़ बच्चों को जबरन विस्थापित होने का दंश झेलना पड़ा था। विस्थापित बच्चों का यह आंकड़ा 2022 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। गौरतलब है कि अपने घरों को छोड़ जबरन विस्थापित हुए बच्चों की संख्या पिछले दशक में बढ़कर दोगुनी हो गई है।इनमें से 1.2 करोड़ बच्चे वो थे जिनकों बाढ़, सूखा, तूफान जैसी चरम मौसमी घटनाओं के चलते जबरन अपना घर-बार छोड़ना पड़ा था।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा की जा रही दूषित कफ सीरप की जांच में भारत और इंडोनेशिया की 20 विषाक्त दवाओं को चिह्नित किया गया है। डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमीयर ने कहा कि ये 20 उत्पाद दोनों देशों के ’15 अलग-अलग निर्माताओं’ द्वारा निर्मित थे और सभी दवाएं सीरप हैं, जिनमें खांसी की दवा, पैरासिटामोल या विटामिन शामिल हैं।ज़्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।
स्कूली शिक्षा में सुधार की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे शिक्षा मंत्रालय की एक और बड़ी पहल रंग लाते दिख रही है। जिसमें छात्रों के बीच की असमानता की खाईं को पाटने और उन्हें किसी तरह की असुविधा से बचाने के लिए ज्यादातर राज्य अब एक जैसे पैटर्न पर बोर्ड परीक्षाएं कराने के लिए सहमत होते दिख रहे है।खबर को पूरा सुनने के लिए ऑडियो लिंक पर क्लिक करें
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