खींचतान में 1998 में बंद हो गई संतकबीरनगर। पिछले 25 वर्षों से बंद चल रही मगहर कताई मिल के दुबारा चलने अथवा इस जगह पर दूसरा उद्योग स्थापित होने की आस एक बार फिर अधूरी रह गई। कबीर मगहर महोत्सव का समापन करने मगहर पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन को लेकर सभी को उम्मीद थी कि इसको लेकर कोई घोषणा हो सकती है। लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में इसका जिक्र नहीं किया तो सभी निराश हो गए। मगहर कताई मिल कभी बखिरा के कपड़ा उद्योग के लिए संजीवनी बन गई थी। स्थिति यह रही कि मिल चलने के साथ कपड़ा उद्योग भी तेजी पर परवान चढ़ने लगा। 1990 के दशक में उद्योग चरम पर था। यहां तैयार कपड़े उत्तर प्रदेश ही नहीं पंजाब, महाराष्ट्र , बिहार और पड़ोसी देश नेपाल में बिकते थे। धीरे-धीरे बखिरा कपड़ा उद्योग भी खत्म हो गया। हजारों परिवार बेरोजगार हो गए। तमाम परिवार पलायन कर गए। बखिरा के बुनकर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 1977 में मगहर में कताई मिल की स्थापना की गई थी। उद्देश्य था कि बुनकरों को स्थानीय स्तर पर सस्ता कच्चा माल मिल जाएगा। सस्ती लागत से उनका तैयार माल हाथो हाथ बिक जाता था, लेकिन एसी नजर लगी कि दो दशक में ही मिल बंद हो गई। इससे हजारों लोगों का रोजगार छिन गया। राजनीतिक दलों के लिए यह कभी मुद्दा नहीं बना। किसी ने धरातल पर काम नहीं किया। एक एकड़ में स्थापित है मिल मगहर में लगभग एक एकड़ में स्थापित कताई मिल से प्रत्यक्ष रूप से लगभग पन्द्रह सौ लोगों को रोजगार मिलता था। तीन हजार से अधिक ऐसे थे जिनकी अप्रत्यक्ष रूप से रोजी रोजी-रोटी चलती थी। मिल स्थापना के बाद 20 वर्ष तक लगातार शानदार ढंग से चली। मिल कर्मचारी और प्रबंधन की खींचतान में मिल 1998 में बंद हो गई। इसका प्रभाव सीधे तौर पर नगर तथा आसपास के क्षेत्र पर पड़ा। तमाम लोगों के रोजगार के साधन समाप्त हो गए। ये मिल से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े थे। संसाधन देने वाले बड़े व छोटे दुकानदारों को नुकसान उठाना पड़ा। बंदी के बाद से रोजगार के लिए लोगों का पलायन शुरू हो गया। हथकरघा उद्योग हुआ प्रभावित मिल चलने से इसका फायदा बुनकरों को सीधे तौर से होता था। बखिरा के बुनकर इशहाक अंसारी ने कहा कि आसपास के क्षेत्र में हथकरघा उद्योग उस समय अपने स्वर्णिम काल के दौर से चल रहा था। कताई मिल के बंद होने से न केवल हथकरघा उद्योग प्रभावित हुआ। लोगों की उम्मीद नहीं हुई पूरी मिल कर्मचारी परवेज ने बताया कि प्रदेश सरकार से उम्मीद थी कि यह मिल चल जाएगी। सरकार से आश्वासन भी मिला था। कुछ मिलों को पुनर्जीवित करने की घोषणा हुई पर उस सूची में मगहर कताई मिल का नाम शामिल नहीं हो सका।