हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

उसरी बचाओ अभियान के बैनर तले नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए रविवार को पदयात्रा निकाली गयी. पदयात्रा में अभियान से जुड़े सदस्यों के अलावा कई राजनीतिक दलों के नेताओं व बुद्धिजीवियों ने भाग लिया. पदयात्रा पेसरागढ़ा छठ घाट से लेकर सिहोडीह पानी टंकी तक गयी। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

Transcript Unavailable.

दीपावली दियों से या धमाकों से? अबकि दीवाली पर हमें यह सोचना ही होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे शहरों की हवा हमारे इस उत्साह को शायद और नहीं झेल पा रही है। हवा इतनी खराब है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। भारत की राजधानी दिल्ली इस मामले में कुछ ज्यादा बदनाम है। दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित जगहों में शामिल दिल्ली में प्रदूषण इतना अधिक है कि लोगों का रहना भी यहां दूभर हो रहा है।

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

लायन सदस्याओं ने मैट्रोस गली के आंगनबाड़ी केंद्र में पौधरोपण करते हुए दर्जन भर नींबू एवं नीम के पौधे लगाकर छोटे-छोटे बच्चों को पर्यावरण को सुरक्षित रखने में पेड़ पौधों के महत्व बताए।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.