सिविल लाइंस, जो बनाया तो अंग्रेजों के लिए गया था लेकिन वह तो रहे नहीं सो अब हमारे काम आ रहा है। बेहद खूबसूरत, जगमगाती इमारतें, चौड़ी सड़कें, फर्राटा भरती गांडियां और सबकुछ इतना करीने से की घूमने के लिए अद्भुत जगह, मेरा खुद से देखा हुआ अब तक का सबसे शानदार दिलकश, बगल में कॉफी की महक उड़ाता इंडियन कॉफी हाउस। और ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

बिहार राज्य के वैशाली जिला से सोनू कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि मनरेगा से प्राप्त मजदूरी से लोग अपनी इच्छा की पूर्ति नही कर पाएंगे। दैनिक मजदूरी बहुत कम दिया जाता है।मनरेगा योजना के अंतर्गत काम कर के अपने परिवार को चलाना संभव नही है।साथ ही यह योजना धांधली और लूट-खसोट का शिकार है। इस योजना में बताया गया है कि मजदूरी करने वालों को कई सुविधाएँ मिलेंगी,जैसे - शेड, पानी,स्कूल,इत्यादि। मगर धरातल पर मजदूरों को इनमे से कोई भी सुविधा उपलब्ध नही कराई जाती है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

। त्योहार की शुरुआत मंगलवार, 9 अप्रैल को मां शैलपुत्री की पूजा के साथ हुई। और समाज की कई महिलाएं और कुछ पुरुष भी नवरात्रि का जन्म रखते हुए दिखाई देते हैं, जो कुछ लोग फलों और फूलों के साथ करते हैं। प्रार्थना की जा रही है और कई घरों में कलश भी लगाया जा रहा है।

सोमवार, 8 अप्रैल को महिलाओं को अमावस्या व्रत का पालन करते देखा गया, जो सोमवार को मनाया जाता है। वास्या के लिए चैत्र के महीने में, बड़ी संख्या में महिलाओं को पीपल के राजा के चरणों में यह त्योहार मनाते देखा गया था। वहाँ पूजा की वस्तुएँ पूजा पाठ करते और दान करते हुए देखी गईं

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा खेती में हरी खाद का इस्तेमाल करने के बारे में जानकारी दे रहे है अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें 

मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

बचपन मनाओ बढ़ते जाओ और मोइलवाणी की प्रतियोगिता ''चलो पढ़ें और पढ़ाएं'' में हिस्सा ज़रूर लें और परिजन अपने बच्चों को वाक्य पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें | बच्चे नया पढ़ेंगे तो नया सीख भी पाएंगे.

सुनिए इस कहानी को जो बच्चों को प्रेरित करती है दूसरों की मदद करके को लेकर |

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ जीव दास साहु ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती करने की जानकारी दे रहे हैं। सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.