उत्तरप्रदेश राज्य के सहारनपुर जिला से शालिनी श्रीवास्तव उत्तरप्रदेश मोबाइल वाणी के माध्यम से नवजात शिशु के पोषण के बारे में जानकारी देते हुए यह कहती हैं कि 6 माह से कम उम्र के लगभग आधे बच्चों को ही स्तनपान कराया जाता है। उन्होंने यह कहा कि छह माह तक केवल बच्चे को मां का दूध पिलाया जा सकता है। क्योकि मां के दूध में सभी पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं और इसमें छह माह तक बच्चे की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त पानी भी होता है। जिन शिशुओं को छह माह तक केवल स्तनपान कराया जाता है, उस शिशु को किसी भी दूसरी चीज की आवश्यकता नहीं होती है। उन्होंने यह भी कहा कि जन्म के तुरंत बाद निश्चित तौर पर प्रसव के 1 घंटे के अंदर जल्द से जल्द शुरू कराने से नवजात शिशु को मां का पहला दूध कोलोस्ट्रम मिलता है, जो शिशु को बीमारियों से लड़ने में सहायता करता है और पहला गाढ़ा पीला दूध नवजात शिशु को पोषण देता है।
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से शालिनी श्रीवास्तव उत्तरप्रदेश मोबाइल वाणी के माध्यम से छोटे बच्चों की देखभाल के बारे में जानकारी देते हुए यह कहती हैं कि छोटे बच्चों की गृह आधारित देखभाल कार्यक्रम का उद्देश्य बाल मृत्यु और बीमारियों को कम करना, छोटे बच्चों की पोषण संबंधी स्थिति में सुधार लाना, छोटे बच्चों की सही वृद्धि और आरंभिक बाल विकास को सुरक्षित करना, गृह आधारित भ्रमण से समस्याओं की जल्दी पहचान करने और उचित कार्रवाई करने में परिवारों की सहायता होती है। उन्होंने बताया कि गृह आधारित उचित देखभाल पद्धतियों के माध्यम से स्वास्थ्य संस्थानों में जाने में माध्यम से किया जा सकता है और गृह आधारित अतिरिक्त भ्रमण से जीवन के पहले 15 माह के दौरान बच्चों और माता-पिता देखभाल कर्ताओं के साथ संपर्क बढ़ता है, जिससे निम्नलिखित उद्देश अवसर मिलते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जीवन के पहले 6 माह के दौरान केवल स्तनपान को बढ़ावा मिलेगा, 6 माह पूर्व हो जाने पर उसके आगे बच्चों को समय पर पर्याप्त और उपयुक्त पूरक आहार दिए जाने पर जोर मिलेगा, अपने बच्चों में पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की पहचान एवं प्रबंधन के लिए परम परामर्श एवं सहायता के माध्यम से माता और देखभाल कर्ताओं की छमता का निर्माण होगा, मातृ एवं बाल संरक्षण कार्ड की सहायता से बच्चों की वृद्धि एवं विकास में होने वाली देरी की जल्दी पहचान होगी, बचपन की सामान्य बीमारियों की रोकथाम और उसके प्रबंधन में मदद मिलेगी, जटिलताओं के उपचार के लिए बीमार बच्चों को स्वास्थ्य संस्थानों में शीघ्र भेजना सुनिश्चित होगा। साथ ही स्वास्थ्य संस्थानों से घर वापस आने वाले बीमार बच्चों की दवाई का अनुपालन एवं उनकी देखभाल के लिए उनका फ़ॉलोअप किया जा सकेगा
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से शालिनी श्रीवास्तव उत्तरप्रदेश मोबाइल वाणी के माध्यम से नवजात शिशु की सुरक्षा के बारे में जानकारी देते हुए यह कहती हैं कि नवजात शिशु मृत्यु दर का 80% से अधिक मुख्य रूप से तीन कारणों समय पूर्व प्रसव और प्रसव के दौरान जटिलता और नवजात संक्रमण की वजह से होता है जिसमें से तीन चौथाई मृत्यु जीवन के प्रथम सप्ताह में होती है। उन्होंने बताया कि नवजात शिशुओं की नियमित निगरानी से इस परिस्थिति को बदला जा सकता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत नवजात शिशुओं के लिए रास्ता आधारित एवं गृह आधारित देखभाल के कार्यक्रम शिशु की देखभाल की निरंतरता को संस्था से लेकर समाज भर एवं पूरा करने के लिए शुरू किए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जन्म के समय कम वजन समय के पूर्व पैदा हुए नवजात शिशु अन्य शिशुओं की अपेक्षा कमजोर होते हैं, इनमें मृत्यु की संभावना अधिक होती है और जन्म के समय सामान्य वजन के शिशुओं की तुलना में कम वजन के भविष्य में भी कम वजन रहने छोटे कद का होने एवं संचारी रोगों के होने की संभावना रहती है। साथ ही यह भी बताया कि यदि शिशु अवस्था में शारीरिक वृद्धि प्रभावित होती है संज्ञानात्मक विकास में देरी में भी कमजोरी भी बनी रहती है होम बेस्ड न्यू बोर्न केयर कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने हेतु प्रदेश में समुद्र पर प्रश्नों प्रांत एवं नवजात शिशु की देखभाल के लिए होम विद न्यूबॉर्न केयर कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसमें कि घर घर भ्रमण करके नवजात शिशु एवं धात्री माताओं के स्वास्थ्य की घरेलू देखभाल कर स्वस्थ एवं सुरक्षित रखने की व्यवस्था की जाती है इसका मुख्य सुविधा उपलब्ध कराना एवं जटिलताओं से बचाना समय पूर्व जन्म लेने वाले और जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों की शीघ्र पहचान कर समुचित देखभाल एवं संघर्ष करना नवजात शिशु की बीमारी का शीघ्र पता कर समुचित देखभाल एवं संवर्धन करना परिवार को आदर्श स्वास्थ्य व्यवहार अपनाने हेतु प्रेरित एवं सहयोग करना तथा मां के अंदर अपने नवजात शिशु के स्वास्थ्य की सुरक्षा करने का आत्मविश्वास एवं दक्षता विकसित करना
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उत्तर प्रदेश राज्य के जिला गाजीपुर से मोबाइल वाणी के माध्यम से नागेंद्र बोल रहें हैं की कोरोना से सुरक्षित रहने के लिए सभी लोगो को वैक्सीन लगवाना ही पड़ेगा। वैक्सीन लगवाने से सुरक्षा कवच मिलता है। अगर कोरोना होता भी है तो उसका असर कम होगा और मास्क और सेनिटाइज़र का उपयोग जरूर करें। क्यूंकि हमारे देश से अभी कोरोना नहीं गया है भीड़ भाड़ वाले जगहों पर कम जाएँ। कोई भी सामग्री बाहर से लाते हैं तो उसे जरूर धोएं और अपने हाथ को भी धोते रहें