नेबुआ नौरंगिया ब्लाक क्षेत्र का पांच दशक पुराने विद्युत केंद्र रामपुर कोटवा पर क्षमता से दोगुने उपभोक्ता हो गए हैं। इसके चलते केंद्र निर्बाध रूप से बिजली आपूर्ति देने में हांफने लगा है। मरम्मत के अभाव में जर्जर भवन की छत से बारिश के दिनों में पानी टपकता है। इससे उपकेंद्र के मशीनों को बचाने के लिए कर्मी फिडरों को तिरपाल से ढक कर किसी तरह से लोगों को बिजली आपूर्ति करते हैं। रामपुर कोटवा में वर्ष 1971 में रामपुर कोटवा के नाम से 33 केवीए का विद्युत उपकेंद्र का निर्माण कराया गया था। इस उपकेंद्र से ब्लाॅक, सामुदायिक केंद्र,थाना के साथ खड्डा ब्लाॅक के 30 और नौरंगिया के 50 गांवों के उपभोक्ता को बिजली आपूर्ति की जाती है। 20 हजार क्षमता वाले इस उपकेंद्र पर अब 40 हजार उपभोक्ताओं का लोड है। कनेक्शन तो बढ़ा दिए गए, लेकिन केंद्र की क्षमता नहीं बढ़ाई गई। इससे लो-वोल्टेज से लेकर लाइन ट्रिप की समस्या लोगों को झेलनी पड़ती है।दस एमबीए के एक पांच एमबीए के ट्रांसफाॅर्मरों के भरोसे दो लाख आबादी को खजुरी,कोटवा बलकुड़िया, मठिया,नेबुआ, सरपतही और कुर्मी पट्टी समेत सात फिडरों से बिजली आपूर्ति होती है।रात मे रोशनी सहित गर्मी के दिनो मे गर्मी से निजात पाने के लिए लोगों के पास मात्र एक सहारा बिजली ही है, लेकिन उपकरण जर्जर व ओवरलोड बढ़ने से ट्रिपिंग और इनकमिंग केबल में फाल्ट अक्सर होने से बिजली आपूर्ति घंटों बाधित हो जाती है। एक साथ सभी फिडरों से बिजली आपूर्ति देने पर 33 केवीए की मेन लाइन का जमफर जल रहे हैं। रात में फाल्ट होने पर बिजली कर्मियों के काफी मशक्कत करनी पड़ती है।इस संबंध मे उपकेंद्र के एसडीओ रुपेश कुशवाहा का कहना है कि उपकेंद्र की क्षमता वृद्धि नहीं होने और उपभोक्ता दोगुना बढ़ने से लाइन ट्रिप व ओएचटी केबल फाल्ट की समय बार-बार उत्पन्न हो रही है।33 केवीए की एक ही लाइन होने के चलते उस पर भी लोड बढ़ गया है।केंद्र पर और दो और 10 एमबीए के ट्रासफार्मर की जरूरत है।यदि यह लग जाता तो सारी समस्याओं का निदान हो जाता।उसके साथ दो जेई का भी जरूरत है।