भरपुरा में ब्रह्माकुमारी पाठशाला का धूमधाम से मनाया गया वार्षिक स्थापना दिवस भगवान का स्मरण करने और मानव धर्म का पालन करने से होंगी सही मोक्ष की प्राप्ति --ब्रह्मकुमारी रीमा बहन सोनपुर। सोनपुर प्रखंड के अंतर्गत भरपुरा में ब्रह्माकुमारी पाठशाला के वार्षिक स्थापना दिवस धूमधाम के साथ मनाया गया। इस वार्षिक पाठशाला में उपस्थित ब्रह्माकुमारी क़े रीमा बहन , शांति बहन,बेबी बहन, रविंद्र जी , हरेंद्र जी,विजय जी, पौदार जी ने ब्रह्माकुमारी पाठशाला में भाग लेकर गांव क़े शिवसागर पांडे, मुन्नी देवी,रंभा देवी,मनोरमा देवी, चंदेश्वर जी, यदुनंदन भगत सहित दर्जनों लोगो ने इस वार्षिक उत्सव कार्यक्रम में ध्वजा रोहण कर धूमधाम के साथ भक्ति गीत और प्रवचन देकर लोगों को भगवान के प्रति आस्था बढ़ाने और मानव धर्म अपनाने की अपील की। प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय संस्थान से जुड़े रीमा बहन ने उपस्थित लोगों को पाठशाला में संबोधित करते हुए कहीं की सर्व आत्माओं के पिता परमात्मा शिव है। उन्होंने कहीं की आज संसार में चारों ओर चिंता भय और निराशा का वातावरण है। मनुष्य विकारों की अग्नि में तप रहे है. प्राणी मात्र पर दुखों और प्राकृतिक आपदाओं का पहाड़ टूट रहा है। गीता में लिखी धर्मागलानी के सभी चिन्ह दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कही कि सबका मालिक एक है। वह परमपिता निरंकारी शिव है। शिव के आराधना करने से और मानव धर्म क़े पालन करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। परम पिता शिव परमात्मा का कर्तव्य है कि पतित आत्माओं को पवन बनाना। उन्होंने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आत्मा की तीन शक्तियां है मन, बुद्धि और संस्कार और आत्मा का मूल स्वभाव है -शांत स्वरूप प्रेम स्वरूप,शक्ति स्वरूप,आनंद स्वरूप,ज्ञान स्वरूप,सुख स्वरूप और पवित्र स्वरूप है। आत्मा इस शरीर द्वारा सब कार्य करती है। अगर आत्मा नहीं है तो शरीर का कोई भी पार्ट काम नहीं करेगा। आत्मा को शांति प्रदान करें और अच्छे कर्म करे तभी अच्छे फल की प्राप्ति होंगी।उन्होंने कही कि दूसरे की मदद करते हुए यदि हृदय में आनंद है हो तो वही सेवा है बाकी सब व्यर्थ है.बुरे संगत उस कोयले के समान है जो गर्म हो तो हाथ को जला देता है और ठंडा हो तो हाथ को काला कर देता है। हे महामानव आप मानव धर्म का पालन करें और अपने कर्तव्यों को निर्वहन ईमानदारी पूर्वक करें और आप सत्य मार्ग पर चले तभी कलयुग में सही से मोक्ष की प्राप्ति होंगी। गलत संगत या बुरा कर्म करने वाले लोग निश्चित ही कस्ट को भोगते है। परमपिता परमात्मा शिव निरंकार है। आता है शिव के भक्तों जिसे पाने के लिए अपने जन्म जन्म जन्मांतर भक्ति की अब भी इस धरा पर आ चुके हैं उन्हें पहचानो और भक्ति की फल सतयुग ईश्वर का द्वार खोलने की स्वर्णिम चाबी प्राप्त करें। उपस्थित लोगों ने निरंकारी रूप भगवान शिव के स्मरण कर पूजा अर्चना कर प्रसाद ग्रहण किया।