सोनपुर स्थित श्रीगजेंद्रमोक्ष देवस्थानम नौलखा मंदिर में 26वा श्रीब्रह्मोत्सव सह श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ कलश यात्रा के साथ यज्ञ का हुआ आरंभ सोनपुर। विश्व विख्यात हरिहर क्षेत्र सोनपुर अंतर्गत प्रसिद्ध श्रीगजेन्द्रमोक्ष देवस्थानम् नौलखा मंदिर प्रांगण में 26 वां श्रीब्रह्मोत्सव सह श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ को लेकर 7 फरवरी शुक्रवार को मंदिर प्रांगण से 108 कलश के साथ कलश यात्रा सह जल यात्रा सैकड़ो महिला पुरुष श्रद्धालु भक्त द्वारा निकाली गई।इस दौरान भगवान श्री गजेन्द्र मोक्ष की जय जयकार से संपूर्ण हरिहरक्षेत्र की धरती गुंजायमान हो उठा। कलश यात्रियों ने यज्ञ स्थल की परिक्रमा कर गरुड़ देव को नमन किया। इसके साथ ही यज्ञ का विधिवत शुभारंभ हो गया। कलश शोभा यात्रा का नेतृत्व श्रीगजेंद्र मोक्ष देवस्थानम् मंदिर के पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी महराज क़े दिशा निर्देश पर सैकड़ो श्रद्धालु इस कलश यात्रा में शामिल होकर मंदिर प्रबंधक नन्दकुमार बाबा औेर मन्दिर मीडिया प्रभारी लाल बाबू पटेल क़े साथ गजेन्द्र मोक्ष मंदिर से श्रीगरुड़देव की प्रदक्षिणा व उनके आशीर्वचन प्राप्त कर बाबा हरिहरनाथ मंदिर पहुंचा जहां भगवान भोलेनाथ को नमन करते हुए मीना बाजार से सिद्घनाथ चौक ,चिड़िया बाजार होकर मुख्य सड़क मार्ग से महेश्वर चौक होते हुए श्रीगजेन्द्र मोक्ष घाट पहुंचा,जहां हरिहर क्षेत्र पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य द्वारा मंत्रोच्चारणों से जल मातृका, थल मातृका, स्थल मातृका एवं षोडशोपचार से वरुण देव का पूजन संपन्न हुआ। पूजनोपरांत देवी नारायणी की आरती की गयी। आरती के बाद कलश यात्रियों द्वारा विधिवत कलश में जलभरी कार्य संपन्न हुआ।जहा से कलश यात्रा पुनः वापस मंदिर प्रांगण पहुंची।श्रद्धालु भक्त कलश लेकर पवित्र यज्ञ वेदी की परिक्रमा की और वैदिक मन्त्रोंच्चार के साथ कलश को यज्ञ स्थल पर स्थापित किया। श्री गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम् दिव्य देश पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी महाराज ने इस मौके पर जल यात्रा के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आध्यात्मिक जगत में किसी भी अनुष्ठान यज्ञादि करने के लिए सर्वप्रथम जल यात्रा किया जाता है। उन्होंने कहा कि जल ही जीवन है।गर्भाधान से अंत्येष्टि पर्यन्त जल की आवश्यकता है। बिना जल के न गर्भाधान और न ही अंत्येष्टि क्रिया का संपादन किया जा सकता है।उन्होंने कहा कि मानवोचित संस्कारों को सुसंस्कृत बनाने के लिए वरुण पूजा आवश्यक है। जल ही प्राण है। जल हीं ईश्वर है। अपवित्र हो या पवित्र सबको पवित्र करने की क्षमता जल में ही है।इस अवसर पर यज्ञके मुख्य यजमान दिलीप झा,भोला सिंह, सुधांशु सिंह, रतन कुमार कर्ण, फूल देवी,निलीमा,गायत्री शुक्ल,कुसुम देवी सहित सैकड़ों भक्तगण सम्मिलित हुए। साथ हीं देवस्थानम् के युवराज स्वामी लक्ष्मीनारायण जी भी पूर्ण श्रद्धापूर्वक शोभायात्रा में शामिल हुए।उपर्युक्त अवसर में शामिल हुए सभी श्रद्धावान को महाप्रसाद खिलाया गया।देर रात्रि में मानर पूजन, मृत्तिका हरण और अंकुरा रोपण का आयोजन किया गया।