सोनपुर । जेठ कृष्ण पक्ष आमावसया को वट सावित्री पूजा करने की परंपरा सदियो से चली आ रही है। वट वृक्ष की सनातन धर्म में काफी मान्यता है। वट वृक्ष धरती पर जीवन का प्रतीक हैं। इस ब्रत को करने के लिए बुधवार को भारी संख्या में महिलाओं ने सोनपुर नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र की दुकानों में पहुंचकर फल, फूल, पूजन सामग्री एवं पंखे की खरीदारी जमकर की । दुकानदारो के सामानों के बिक्री होने से उनके चेहरे पर खुशी देगी गयी । महिलाएं अपने समर्थ के अनुसार पूजन सामग्री की खरीदारी की । यह व्रत गुरुवार को यानी आज सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा कर सुहागिन अपने अखंड सौभाग्य की कामना करती है। एक दिवसीय उपवास रख कर व्रत करती है। उक्त बात की जानकारी देते हुए लोक सेवा आश्रम के संत मौनी बाबा ने बताया कि हिन्दु धर्म अनुसार वट सावित्री व्रत का सुहागिन महिलाओ के लिए और अधिक महत्व होता है। इस दिन महिलाए अपने सूखद वैवाहिक जीवन के लिए वट वृक्ष की पूजन करती है। सती सावित्री के कथा में कहा गया है कि इस दिन सावित्री ने अपने पति सत्यभामा के प्राण यमराज से भी वापस ले लिये थे। तभी से इस दिन को वट सावित्री व्रत के रूप मे पति के लंबी आयु के लिए मनाया जाता है। इस व्रत मे वरगद पेड का खास महत्व होता है। वट वृक्ष के जडो मे ब्रह्मा जी तने मे भगवान विष्णु और पतो मे भगवान शिव का वास होता है। माँ सावित्री भी वट वृक्ष मे निवास करती है। वट वृक्ष की पूजा न सिर्फ अक्षय स्वभाव की दीघार्यु भी देता है। हरिहरनामंदिर के पुजारी पवन शास्त्री व सुशील चंद्र शास्त्री ने बताया कि सुबह प्रातः 05:22 से 07:07 बजे तक फिर 11:36 से 12:14 बजे तक अभिजीत मुहूर्त पूजन विशेष फलदायक होगा ।उन्होंने कहा कि बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री-सत्यवान और यमराज की मूर्ति रखें l बरगद के पेड़ में जल डालकर उसमें पुष्प, अक्षत, फूल और मिठाई चढ़ाएं l वृक्ष में रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद की प्रार्थना करें l वट वृक्ष की कच्च धागा लपेटकर सात परिक्रमा करें इसके बाद हाथ में काले चने को लेकर इस व्रत की कथा सुनें l कथा के बाद ब्राह्मण को दान दे l दान में वस्त्र दक्षिणा और चने दें l अगले दिन व्रत को तोड़ने से पहले बरगद के वृक्ष का कोपल खाकर उपवास समाप्त करें lविस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।