दिघवारा प्रखंड से अजय कुमार कि रिपोर्ट।कालाजार के नए मरीजों की खोज शुरू, प्रभावित गांवों में आशा कार्यकर्ताएं करेंगी सर्वे: कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत विभाग की ओर से प्रभावित गांवों में साल में दो बार कराया जाता है छिड़काव: सिविल सर्जन कालाजार का लक्षण दिखते ही चिकित्सक से करें संपर्क, नि:शुल्क जांच की है व्यवस्था: डॉ दिलीप वर्ष 2021 से 23 तक मिले मरीजों के आधार पर प्रभावित गांवों में चलाया जाएगा अभियान: छपरा, कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में कालाजार के नए रोगियों की खोज के लिए शनिवार से अभियान की शुरुआत हो गई है। सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि आशा कार्यकर्ताएं कालाजार प्रभावित गांवों में घर-घर जाकर सर्वे करेंगी और कालाजार के लक्षण वाले मरीजों को चिह्नित करते हुए उन्हें जांच के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या सदर अस्पताल रेफर करेंगी। साथ ही, उन मरीजों की भी जांच की जायेगी जो पूर्व में कालाजार की बीमारी से ग्रसित रहे हो, क्योंकि कई मामलों में कालाजार के मरीजों के दोबारा से इस बीमारी से ग्रसित होने की संभावना रहती है। हालांकि, कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत विभाग की ओर से प्रभावित गांवों में साल में दो बार छिड़काव कराया जाता है। लेकिन उसके पूर्व कालाजार मरीजों के लिए खोजी अभियान चलाया जाता है। ताकि किसी भी स्तर पर चूक न हो सके। त्वचा पर सफेद दाग व गांठ बनना हो सकता है पीकेडीएल के लक्षण: डॉ दिलीप जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि इस अभियान में कालाजार के छुपे हुए मरीजों को चिह्नित किया जायेगा। ताकि, उनका समय से इलाज शुरू किया जा सके। उन्होंने बताया कि 15 दिनों से अधिक समय तक बुखार का होना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। इस बीमारी के अन्य लक्षणों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि भूख की कमी, पेट का आकार बड़ा होना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। जिन्हें बुखार नहीं हो लेकिन उनके शरीर की त्वचा पर सफेद दाग व गांठ बनना पीकेडीएल के लक्षण हो सकते हैं। जो पूर्व के कालाजार के मरीजों से अधिकांशतः पाया जाता है। इसलिए कालाजार से ठीक हो चुके मरीजों को भी जांच कराना अनिवार्य है। ताकि, उन्हें पीकेडीएल के प्रभाव से बचाया जा सके। आशा कार्यकर्ताओं को दी गई है लक्षणों की पहचान की जानकारी: जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार सुधीर कुमार ने बताया, इस अभियान के लिए कुल 927 आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया है। जिसमें उन्हें कालाजार और पीकेडीएल के लक्षणों की पहचान की विस्तार से जानकारी दी गई है। जिसका प्रसार संक्रमित बालू मक्खी द्वारा होता है। यह परजीवी बाद किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो परजीवी स्वस्थ व्यक्ति के अंदर प्रवेश कर जाता है। इस प्रकार यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है। इस बीमारी में दो हफ्तों से ज्यादा बुखार रहता है। उन्होंने बताया कि कालाजार के संदिग्ध रोगी की खोज कर ससमय जांच एवं उपचार करवाना जरूरी है। मरीजों को मिलती है पारिश्रमिक क्षतिपूर्ति राशि: वीडीसीओ वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी (वीडीसीओ) अनुज कुमार ने बताया कि 2021 में कालाजार के 222 मरीज मिले थे। वहीं, 2022 और 2023 में क्रमशः 119 और 90 मिले। जो विभाग के प्रयासों का सकारात्मक परिणाम रहा। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा कालाजार रोग ग्रसित सभी मरीजों को पारिश्रमिक की क्षतिपूर्ति राशि दी जाती है। योजना के तहत 6600 रुपये तथा केंद्र सरकार की ओर से 500 रुपये यानी कुल 7100 रुपये भुगतान करने का प्रावधान है। वहीं, पीकेडीएल के मरीजों को सरकार द्वारा 4 हजार रुपए की श्रम क्षतिपूर्ति राशि भी दी जाती है। कालाजार के निम्न लक्षण: बुखार अक्सर रुक-रुक कर या तेजी से तथा दोहरी गति से आना, भूख लगना, वजन में कमी जिससे शरीर में दुर्बलता, कमजोरी, त्वचा सूखी, पतली और शुष्क होती है तथा बाल झड़ने लगते हैं। इस बीमारी में खून की कमी बड़ी तेजी होने लगती है। गोरे व्यक्तियों के हाथ, पैर, पेट और चेहरे का रंग भूरा हो जाता है। इसी से इसका नाम कालाजार पड़ा अर्थात काला बुखार पड़ा है।