कविता देबि, मीटिंग में शामिल हुए था जहां लड़कियों और महिलाओं के सुरक्षा के बारे में बात हुई है
नंदिता राजलेस्मी, सुल्तानगंज थाना के महिला प्रसाशनिक के साथ ट्रेनिंग किये है | थाना प्राधिकरण के कहा है की महिलाएं उनसे आकर मिले और उनसे शिशु और महिलाओं के सुरक्षा के बारे में अपनी राय बतायें | उन्होंने यह भी कहाँ की कभी कभी छोटे मुद्दे भी बड़े हो जाते है जानकारी कम होने की कारन | उनलोगों ने नंदिता को कानूनन जानकारी भी दिए है |
नौबतपुर से, सेफ्टी पैनल की महिला, अपनी मोहल्ले की किसी 14 साल की लड़की को काम करते जाते देख पूछा पढाई क्यों नहीं कर रही है वह, बच्ची ने बताया कि उसकी पिता गुज़र गए, घर पर खाने का इंतज़ाम करना पढाई से ज़्यादा ज़रूरी है, इसलिए उसको काम करना है | महिला ने उसको पुछा बड़े हो कर क्या बनना चाहती है वह, तोह बच्ची ने कहा उसको पुलिस बनना है | महिला ने समझाया कि पुलिस बनने के लिए पढाई करनी पढ़ती है, बच्ची की माता को भी वही कहा | बच्ची की माँ मान गई पर एक ही बात बार बार पूछ रही थी की, अगर पढाई करेगी तोह खायेगी क्या? महिला को इसके बारे में मदद चाहिए
अनीता कुमारी, सेफ्टी पैनल की महिला, उनको आज ट्रेनिंग मिला है और ट्रेनिंग के मुद्दो के मुद्दे उनको अच्छा लगा है और आगे क्या करना है यह भी ट्रेनिंग में बोला गया है | फील्ड में लड़कियों की साथ क्या होता है इसके बारे में बात हुई है और कुछ ही दिन में वह मीटिंग रखेंगे
मेरा नाम प्रतिमा है मैं बख्तियारपुर थाने से हूं और मैं अभी बहुत अच्छा लगा मुझे मीटिंग करके कई बार मेरी ट्रेनिंग हो चुकी है और इस बार हमने अकेले ही आज मीटिंग करवाया है तो बहुत अच्छा लगा किसी मैं पहले कभी किसी के सामने बोल नहीं पाती थी लेकिन आप अकेले मीटिंग करवा कर ऐसा कॉन्फिडेंस आ गया है मुझ में कहीं भी बोल सकते हैं किसी भी मुद्दे पर बात उठा सकते हैं किसी की जरूरत नहीं है यार हो मैडम हो पुलिस हो के मुखिया जी हो किसी की जरूरत नहीं है इतना कॉन्फिडेंस में अकेले ही किसी के सामने बोल सकते हो पहले था कि मैं घर से बाहर निकलना चाहती थी और अब देखो अकेले ही हमने जैसे तैसे करके लोगों को झूठ आपकी और अकेले ही हमने मीटिंग के लिए तो बहुत अच्छा लगा है क्योंकि अगर इंसान चाहे तो क्या नहीं कर सकता वह कहते हैं ना कि मान लिया तो हार और ठान लिया तो जीत में सबसे कहना चाहती हूं आप भी हमसे जुड़िए सुरक्षा बल शक्ति पहले से आप भी जोड़िए पर आधी सुरक्षित रखी है और खुद दूसरे को भी रखिए कि कि देखिए सोसायटी भी हमसे ही बना तो उनकी जिम्मेदारी भी हमारी ही है कि हम किस तरह से सफाई को लेकर चले क्या है क्या नहीं कि लोग कहते हैं ना कि कुछ भी करने से पहले हम लोगों को ध्यान देना चाहिए तो हमारी बच्चियां भी सुरक्षित नहीं है तो उस पर भी हमें ध्यान देना चाहिए क्या गलत हो रहा है क्या सही है तो सो प्लीज मैं आपसे कहना चाहूंगी कि नहीं कि आप भी अकेले कर सकते हैं अगर करेंगे तो आपके अंदर भी कॉन्फिडेंस आएगा फिर कहीं भी पूछती आप बोल सकते हैं किसी भी मुद्दे को लेकर आप हाथ उठा सकते कहा हम इस मुद्दे पर बात कर सकते तो आज ही मैं मीटिंग से आई हूं तब तक चैनल का जो मध्य विद्यालय में था मुझे बहुत अच्छा लगा मैडम नहीं थी पुलिस भी नहीं कि मेरे साथ हमने अकेले ही मीटिंग करा हमने बहुत अच्छा लगा |
अंजू देवी, नौबतपुर से बोल रहे है कि नेहा कुमारी 12 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ चुकी थी | घरवाले की हज़ार बोलने पर भी वह स्कूल नहीं जाना चाहती है, सिर्फ सिलाई और घर का काम करना चाहती है | उसकी माँ अन्जु देवी के पास आकर यह बात बोली है | अंजू देवी नेहा से वजह पूछने पर नेहा ने कहा है कि स्कूल जाने की रास्ते में लड़के कुछ न कुछ बोलते रहते है, जिसके वजह से वह स्कूल नहीं जाना चाहती | अंजू देवी ने कहा कि इसके बारे में वह पुलिस कंप्लेंट करेंगे | यह सुनकर नेहा ने कहा कि अगर लड़के परेशान न करे तोह फिर वह स्कूल जाने के लिए राज़ी है नहीं तोह वह सिलाई करेगी और घर का काम करेगी |
अंजू देवी, नौबतपुर से, राधिका नाम की किसी लड़की का शिशु श्रम बांध करके स्कूल में दाखिला करने की प्रयास कर रही है | उन्होंने स्कूल के प्रिंसिपल से भी बात करी है, पर प्रिंसिपल ने कहा कि अभी एडमिशन नहीं हो रही है, पर अगर बच्ची का नाम पहले कभी स्कूल ने दाखिला था, तोह वह बच्ची का एडमिशन करवा सकते है | प्रिंसिपल ने कहा कि बच्ची को स्कूल आना पड़ेगा | अंजू देवी ने कहा कि बच्ची स्कूल आएगी और कान काम करेगी, और ऐसा कभी नहीं हो कि बच्ची पढाई छोड़ के काम करने जायेगी | राधिका की माँ भी नाम गई है और कही है कि राधिका को खेती पर कम भेजेंगी |
ट्रेनिंग में 2 मुद्दों के बारे में बात हुई है, एक बाल विवाह और दूसरा बच्चो के पढाई. और ज़रूरत होने पर पुलिस भी मदद करेंगे
दीपा कुमारी, फुलवारी थाना से, अपनी कहानी शेयर कर रही है. उनके पिता गुज़र जाने के बाद, घर पर पैसो के इंतज़ाम के लिए, उनकी पढाई करने की सपना पूरी नहीं हो पाई, उन्हें अपना माता के साथ मजदूरी का काम शुरू करना पढ़ा
सीता देवी, जो सेफ्टी पैनल की महिला है, यह पूछ रहे है की अगर किसी बच्चे के पास स्कूल ड्रेस न हो तोह क्या उसे स्कूल भेजा जा सकता है? क्योंकि ड्रेस के बगैर बच्चों को स्कूल में बैठने नहीं देते