सीमांचल सहित पूरे भारत में शिक्षा बहुत महंगा है मौजूदा सरकार को इस में ध्यान देने की जरूरत है

दोस्तों, एक अनुमान के मुताबिक, हर वर्ष शिक्षा करीब 10 से 12 फीसदी की दर से महंगी होती जा रही है। हर शिक्षण संस्थान प्रत्येक वर्ष अपनी फीस बढ़ाते जा रहे हैं। घर के बाकी खर्चों पर महंगाई के बोझ के मुकाबले शिक्षा के क्षेत्र में महंगाई दोगुनी गति से बढ़ रही है। द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, भविष्य में शिक्षा और महंगी ही होगी। आज ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिक्षा का महत्व काफी तेजी से बढ़ रहा है। सरकार का जोर विशेषकर लड़कियों को शिक्षित करने पर है। इससे प्राइमरी व माध्यमिक विद्यालयों तक तो किशोरियां पढ़ लेती हैं, लेकिन आर्थिक विपन्नता के कारण वह उच्च माध्यमिक व उच्च शिक्षा से वंचित हो जाती हैं। बाकि बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ वाला नारा याद ही होगा। खैर, हमलोग नारो के देश में रहते है और नारा लगाते लगाते खुद कब एक नारा बन जायेंगे , पता नहीं। .. तब तक महँगाई के मज़े लीजिए बाकि तो चलिए रहा है ! ----------तो दोस्तों, आप हमें बताइए कि आपके गांव या जिला के शिक्षा की की स्थिति क्या है ? ----------वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? ----------इस बढ़ती महँगाई के कारण शिक्षा पर होने वाला आपका खर्चा कितना बढ़ा है ? दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर या मोबाइल वाणी एप्प में ऐड का बटन दबाकर।

नमस्कार साथियों आप सुन रहे हैं सीमांचल मोबाइल मैं बिहार राज्य के किशनगंज जिले से सामुदायिक संवाददाता धीरज सिन्हा जैसा की आप सभी को पता है कि हम लोग राजीव की डायरी जैसे कार्यक्रम चलाकर महंगाई के मुद्दों को लेकर लोगों से बात कर रहे हैं इसी कड़ी में आज बात करेंगे बहादुरगंज प्रखंड क्षेत्र के आकाश जी से तो बताइये आपका नाम क्या है?2. आपके यहां टमाटर का क्या रेट है? 3.बढ़ते महंगाई से आपके यहां क्या हालत है?

कोचाधामन से सामुदायिक संवाददाता शादाब आलम मोबाइल वाली पर चलाए जा रहे हैं कार्यक्रम राजीव की डायरी को लेकर बिशनपुर के शादीक आलम से बातचीत किया कि आपके इलाके में महंगाई किस तरह लोगों को परेशान कर रही है क्या स्थिति है इलाके की इसके बारे में जाना।

किशनगंज जिले से शुभम कुमार सामुदायिक संवाददाता राजीव की डायरी को लेकर विनय जी से बातचीत किया।

दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि भारत में हर साल 6.3 करोड़ लोगों को सिर्फ इसलिए गरीबी से जूझना पड़ता है क्योंकि उन्हें अपने स्वास्थ्य का खर्चा खुद उठाना पड़ता है। जिस देश में एक सांसद के स्वास्थ्य पर सरकार सालभर में 51 हजार रुपये से ज्यादा खर्च कर देती है, उसी देश के आम नागरिक के स्वास्थ्य पर सरकार 18 सौ रुपये के करीब ही खर्च कर पाती है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2021 के मुताबिक, अगर गांव में कोई व्यक्ति सरकारी अस्पताल में भर्ती होता है, तो उसका औसतन खर्च 4,290 रुपये होता है. वहीं, गांव में निजी अस्पताल में भर्ती होने पर उसे 22,992 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इसी तरह शहर में सरकारी अस्पताल में भर्ती होने पर 4,837 और निजी अस्पताल में 38,822 रुपये का खर्चा आता है. तो अब आप ये सोचिए जिस देश में 70 से 80 करोड़ एक वक़्त के राशन के लिए मोहताज़ हो , वो कैसे इलाज़ करवा पाएंगे। -------तब तक आप हमें बताइए दोस्तों कि आपके क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था के क्या हालात है ? -------आपके सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज़ की स्थिति क्या है ? --------इस बढ़ती महँगाई के कारण स्वास्थ्य पर होने वाला खर्चा आपका कितना बढ़ा है ? --------दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फोन से 3 नंबर का बटन दबाकर या फिर मोबाइल वाणी एप के जरिए एड का बटन दबाकर, क्योंकि याद रहे दोस्तों, बोलेंगे तो बदलेगा?

नमस्कार साथियों आप सुन रहे हैं सीमांचल मोबाइल मैं बिहार राज्य के किशनगंज जिले से सामुदायिक संवाददाता धीरज सिन्हा जैसा की आप सभी को पता है कि हम लोग राजीव की डायरी जैसे कार्यक्रम चलाकर महंगाई के मुद्दों को लेकर लोगों से बात कर रहे हैं इसी कड़ी में आज बात करेंगे बहादुरगंज प्रखंड क्षेत्र के पिन्टु जी से तो बताइये आपका नाम क्या है?2. आपके यहां टमाटर का क्या रेट है?

दोस्तों , सरकार कानून में संसोधन कर रही है , नए-नए बिल ला रही है। कहीं सड़को के नाम बदले जा रहे है, तो कहीं पर योजनाओं के नाम बदले जा रहे है। चापलूसों ने भी अपना नाम बदल कर वक्ता रख लिया है और कान में इयरफोन लगा कर अपने आप को नेता जी से ऊपर समझने लगे है। तो जब पूरा देश ही नाम बदलने के चक्कर के लगा हुआ है , तो हमारी देश की जनता जिसे हम नागरिक कहते है , उन्होंने भी महँगाई का नाम बदल कर उसका तोड़ निकाल लिया है। अब लोग महँगाई से लड़ने के लिए किलो में नहीं बल्कि पाव में खरीददारी कर रहे है। एक ज़माना था , जब लोग कहते थे कि एक सेब रोज़ खाइए और डॉक्टर को दूर भगाइए। आज लोग सेब को देख कर ही दूर भाग रहे है। दाल, तेल, मसालों और सब्ज़ियों के बाद अब आम आदमी फल का केवल नाम ही सुन पा रहा है। आने वाले वक़्त में ये खतरा है कि लोग आश्चर्य से ये न बताये कि आज मैंने अंगूर देखा था , बिल्कुल हरा हरा गोल गोल। दोस्तों, आप हमें बताइए कि इस बढ़ती महँगाई में आपका गुज़ारा कैसे हो रहा है ? क्या आप मौसमी फल खा पा रहे है ? बढ़ती महँगाई ने आपके घर और रसोई को किस कदर प्रभावित किया है। अपनी बात, राय विचार और अनुभव बताने के लिए अभी दबाएँ अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन साथ ही मोबाइल वाणी ऐप में रिकॉर्ड करने के लिए दबाएँ ऐड का बटन। दोस्तों, समाज के हर मसले पर हमें बोलना होगा। क्योंकि हमारा मानना है कि बोलेंगे तो बदलेगा

नमस्कार साथियों आप सुन रहे हैं सीमांचल मोबाइल मैं बिहार राज्य के किशनगंज जिले से सामुदायिक संवाददाता सुधा आचार्य जैसा की आप सभी को पता है कि हम लोग राजीव की डायरी जैसे कार्यक्रम चलाकर महंगाई के मुद्दों को लेकर लोगों से बात कर रहे हैं इसी कड़ी में आज बात करेंगे ठाकुरगंज नगर पंचायत वार्ड नंबर 4 के सोनाक्षी जी से तो बताइये आपका नाम क्या है?2. आपके यहां टमाटर का क्या रेट है? 3.इस बढ़ती महंगाई में आपको कौन-कौन सी सरकारी लाभ मिल रही है?

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