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साथियों , हर वर्ष की तरह आज 12 अगस्त को पूरे विश्व में मनाया जा रहा है अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य युवाओं से जुड़े मुद्दों को अंतराष्ट्रीय समुदाय के ध्यान में लाना और आज के वैश्विक समाज में भागिदार के रूप में युवाओं की क्षमता का जश्न मनाना है । इस दिन की स्थापना 1999 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा दुनिया भर के युवाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और अवसरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई थी।अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस हर साल एक विशेष थीम पर मनाया जाता है, जिसके केंद्र में युवाओं को सशक्त करने के प्रयास होते हैं। इस वर्ष का थीम है : 'क्लिक से प्रगति तक : सतत विकास के लिए युवा डिजिटल मार्ग ' . युवा नई तकनीकों को अपनाने और सकारात्मक रूप से बदलाव लाने में सबसे आगे है। युवा विकास के लिए यह शक्तिशाली विषय डिजिटलीकरण और सतत विकास लक्ष्यों की प्रगति के बीच महत्वपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करता है। साथियों, इस अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर आप सभी युवाओं को मोबाइल वाणी के परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं।

आज देश भर में 4 मार्च को राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाया जा रहा है यह आज का दिन देश भर में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जाने जाने वाले सुधारो के प्रयास और जागरूकता के उद्देश्य से मनाया जाता है और इस राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस की थीम रखी गई है पर्यावरण सामाजिक और शासन आज हमारे साथ (पूर्व सैनिक) कैप्टन भगवंन सिंह सर ग्वालियर से मोबाइल वाणी पर जुड़कर अपनी प्रतिक्रिया मोबाइलवाणी के साथ साझा की।

तमाम गैर सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं सरकारें हर छोटी मोटी भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र देने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित कर रही हैं, जिससे की बताया जा सके कि युवाओं को रोजगार उनकी पार्टी की सरकार होने की वजह से मिल रहा है।

भारत में हर पाँच मिनट पर घरेलू हिंसा की एक घटना रिपोर्ट की जाती है। नेशनल फैमिली हेल्थ रिपोर्ट के अनुसार सख्त घरेलू हिंसा कानून- 2005 होने के बावजूद देश में हर तीन महिलाओं में से एक महिला घरेलू हिंसा की शिकार हैं। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 79.4% महिलाएं कभी अपने पति के जुल्मों की शिकायत ही नहीं करती। दोस्तों, हर रोज महिलाओं के खिलाफ जुर्म बढ़ रहे हैं , क्या अब हमारी संस्कृति को ठेस नहीं पहुंच रही , जिस पर इतने डींगे हाँकते है ? समाज में उत्पीड़न, शोषण और हिंसा का निरंतर बढ़ता ग्राफ अब बढ़ता ही जा रहा है। और जिस पर हमें अपनी चुप्पी तोड़नी ही होगी। हमें इस मुद्दे पर अपनी आवाज़ उठानी ही होगी।

रूढीवाद सामाजिक विज्ञान के तहत स्थापित एक ऐसी विचारधारा है जो पारंपरिक मान्यताओं का अनुकरण तार्किककता या वैज्ञानिकता के बजाए केवल आस्था तथा प्राप्त अनुभवों के आधार पर करती है। यह सामाजिक और नैतिक मान्यताओं को चिरकाल तक प्रचलित मान्यताओं और व्यवस्थाओं के प्रति अपनी भागीदारी सिद्ध करती है। किसी भी समाज में व्याप्त रूढ़िवादिता जैसी बुराई किसी भी देश की प्रगति को पीछे धकेल देती है। रूढ़िवादिता हमारे नवयुवकों को भाग्यवादिता की और ले जाती है। इसके फलस्वरूप् वे कर्महीन हो जाते है और असफलताओं में अपनी कमियों को ढ़ूढने की बजाए इसे भाग्य की परिणिति का रूप दे देती है। आज हम बात करेंगे रूढ़िवादी बनाम बेडियां।

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