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महाराष्ट्र राज्य के जिला नागपुर से आदर्श , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि चुनाव के नतीजे के बाद लोगों की अलग अलग प्रतिक्रियाएँ है। लोगों की बातों से यह लगता है कि उनकी समस्या का समाधान होना अभी बाकी है।

भारत में जहां 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। इन चुनावों में एक तरफ राजनीतिक दल हैं जो सत्ता में आने के लिए मतदाताओं से उनका जीवन बेहतर बनाने के तमाम वादे कर रहे हैं, दूसरी तरफ मतदाता हैं जिनसे पूछा ही नहीं जा रहा है कि वास्तव में उन्हें क्या चाहिए। राजनीतिक दलों ने भले ही मतदाताओं को उनके हाल पर छोड़ दिया हो लेकिन अलग-अलग समुदायो से आने वाले महिला समूहों ने गांव, जिला और राज्य स्तर पर चुनाव में भाग ले रहे राजनीतिर दलों के साथ साझा करने के लिए घोषणापत्र तैयार किया है। इन समूहों में घुमंतू जनजातियों की महिलाओं से लेकर गन्ना काटने वालों सहित, छोटे सामाजिक और श्रमिक समूह मौजूदा चुनाव लड़ रहे राजनेताओं और पार्टियों के सामने अपनी मांगों का घोषणा पत्र पेश कर रहे हैं। क्या है उनकी मांगे ? जानने के लिए इस ऑडियो को सुने

रवि कुमार शर्मा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि मतदाता जागरूकता गीत उन्हें बहुत अच्छा लगा। साथ ही उन्होंने कहा कि मतदान सभी का अधिकार है और सभी को अपने मताधिकार का उपयोग जरूर करना चाहिए

महाराष्ट्र राज्य से आदर्श ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उन्हें मतदाता गीत बहुत अच्छा लगा। साथ ही उन्होंने बताया कि मतदान सभी का अधिकार है। सभी को अपने अधिकार का उपयोग जरूर करना चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य से अनिल ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि चुनाव मुद्दों पर होने चाहिए। कोई भी राजनीतिक दल अपने चुनावी घोषणापत्र में नेत्रहीनों या दृष्टिबाधितों के लिए कुछ नहीं कहता है। अगर कोई पार्टी जीत कर आती है तो सभी विकलांगों पर विशेष ध्यान दे

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंदगांव से विरेंद्र , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि नेता मंत्री जो चुनाव जीतने के लिए सभी प्रकार की चालों का उपयोग करते हैं। जब कांग्रेस की सरकार थी तब महिलाओं के लिए इस पार्टी ने कुछ क्यों नहीं किया। कमजोर वर्ग को सिर्फ वोट बैंक माना जाता है। जब कांग्रेस सत्ता में थे तब भी यह पहले किया जाना चाहिए था ताकि पुरुषों और महिलाओं को सामान्य वेतन मिल सके, और काम में कटौती हो सके और उन्हें समय दिया जा सके, उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया? आज वे सत्ता में नहीं हैं, इसलिए सत्ता में आने के लिए, वे महिलाओं के मुद्दे उठा रहे हैं, कल वे किसी और के मुद्दे उठाएंगे, फिर केवल कमजोर वर्ग जिसे महिला, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, कोई भी माना जाता है, केवल वोट देने के लिए।

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जिला से वीरेंदर गन्धर्व ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि चुनाव के दौर में मतदाताओं को लुभाने के लिए पार्टियां कई तरह के प्रयास करते है। साथ ही उन्होंने कहा की चुनाव के मौसम में हमें कई प्रकार के खेल देखने को मिलते है। विस्तारपूर्वक खबर सुनने के लिए क्लिक करें ऑडियो पर

किसी भी समाज को बदलने का सबसे आसान तरीका है कि राजनीति को बदला जाए, मानव भारत जैसे देश में जहां आज भी महिलाओं को घर और परिवार संभालने की प्रमुख इकाई के तौर पर देखा जाता है, वहां यह सवाल कम से कम एक सदी आगे का है। हक और अधिकारों की लड़ाई समय, देश, काल और परिस्थितियों से इतर होती है? ऐसे में इस एक सवाल के सहारे इस पर वोट मांगना बड़ा और साहसिक लेकिन जरूरी सवाल है, क्योंकि देश की आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है। इस मसले पर बहनबॉक्स की तान्याराणा ने कई महिलाओँ से बात की जिसमें से एक महिला ने तान्या को बताया कि कामकाजी माँओं के रूप में, उन्हें खाली जगह की भी ज़रूरत महसूस होती है पर अब उन्हें वह समय नहीं मिलता है. महिलाओं को उनके काम का हिस्सा देने और उन्हें उनकी पहचान देने के मसले पर आप क्या सोचते हैं? इस विषय पर राय रिकॉर्ड करें