छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंद गांव से विरेंद्र , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि जल्दबाजी नहीं होगी और शादी समय पर पूरी होगी और यह सच्ची इच्छा से होगी, तब चारों ओर खुशी होगी। सबसे पहले, विवाह बिना धूमधाम के होना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो सबसे बड़ी बात जो मैं कहता हूं वह यह है कि शादी से पहले लड़के और लड़की की शारीरिक जांच की जानी चाहिए ताकि किसी भी तरह की बीमारी न हो। अगर आपको कहीं मंदिर जाना है, अदालत जाना है और शादी करनी है, तो आकर समाज में पार्टी दें, तो यह शादी सबसे अच्छी होगी और पार्टी में जरूरत से ज्यादा खर्च न करें क्योंकि कई बार आपको बार में ज्यादा कर्ज चुकाना पड़ता है। यदि ऐसा है, तो विवाह ऐसा होना चाहिए कि किसी पर किसी भी प्रकार का बोझ न हो, न ही दहेज का कोई बोझ हो, न ही किसी का कोई ऋण हो जिसे बाद में चुकाना पड़े। कम लागत वाली शादियां और भव्य शादियां करके एक उदाहरण दें, तो लोगों को एक नया संदेश मिलेगा और जो लोग सरकारी शादी करना चाहते हैं, वे भी ऐसा कर सकते हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंद गाँव से विरेंद्र , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि दहेज़ प्रथा को बंद करना चाहिए है।

मध्य प्रदेश राज्य के जिला जबलपुर से अन्नूलाल महोबिया , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए मजबूत कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार को मजबूत कानून बनाकर दहेज प्रथा को समाप्त करने पर ध्यान देना चाहिए।

बेटों की चाह में बार-बार अबॉर्शन कराने से महिलाओं की सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव लाइफ पर भी बुरा असर पड़ता है। उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ भी खराब होने लगती है। कई मनोवैज्ञानिको के अनुसार ऐसी महिलाएं लंबे समय के लिए डिप्रेशन, एंजायटी का शिकार हो जाती हैं। खुद को दोषी मानने लगती हैं। कुछ भी गलत होने पर गर्भपात से उसे जोड़कर देखने लगती हैं, जिससे अंधविश्वास को भी बढ़ावा मिलता है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि * -------आखिर हमारा समाज महिला के जन्म को क्यों नहीं स्वीकार पाता है ? * -------भ्रूण हत्या और दहेज़ प्रथा के आपको क्या सम्बन्ध नज़र आता है ?

दहेज में परिवार की बचत और आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च होता है. वर्ष 2007 में ग्रामीण भारत में कुल दहेज वार्षिक घरेलू आय का 14 फीसदी था। दहेज की समस्या को प्रथा न समझकर, समस्या के रूप में देखा जाना जरूरी है ताकि इसे खत्म किया जा सके। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- दहेज प्रथा को लेकर आपके क्या विचार है ? *----- आने वाली लोकसभा चुनाव में दहेज प्रथा क्या आपके लिए मुद्दा बन सकता है ? *----- समाज में दहेज़ प्रथा रोकने को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है और क्यों आज भी हमारे समाज में दहेज़ जैसी कुप्रथा मौजूद है ?

छत्तीसगढ़ राज्य के वीरेंदर , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि दहेज़ प्रथा कुछ जातियों में है और यह लेना उनकी शान होती है। आधुनिक युग में अगर लोग दहेज़ प्रथा को मान रहे है तो ये माता पिता की गलती है क्योंकि वो लड़कियों को बोझ समझते है। दहेज़ प्रथा को हटाना ज़रूरी है । इस प्रक्रिया में कानून का सख्त होना ज़रूरी है

भारत में शादी के मौकों पर लेन-देन यानी दहेज की प्रथा आदिकाल से चली आ रही है. पहले यह वधू पक्ष की सहमति से उपहार के तौर पर दिया जाता था। लेकिन हाल के वर्षों में यह एक सौदा और शादी की अनिवार्य शर्त बन गया है। विश्व बैंक की अर्थशास्त्री एस अनुकृति, निशीथ प्रकाश और सुंगोह क्वोन की टीम ने 1960 से लेकर 2008 के दौरान ग्रामीण इलाके में हुई 40 हजार शादियों के अध्ययन में पाया कि 95 फीसदी शादियों में दहेज दिया गया. बावजूद इसके कि वर्ष 1961 से ही भारत में दहेज को गैर-कानूनी घोषित किया जा चुका है. यह शोध भारत के 17 राज्यों पर आधारित है. इसमें ग्रामीण भारत पर ही ध्यान केंद्रित किया गया है जहां भारत की बहुसंख्यक आबादी रहती है.दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- दहेज प्रथा को लेकर आप क्या सोचते है ? और इसकी मुख्य वजह क्या है ? *----- समाज में दहेज़ प्रथा रोकने को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ? *----- और क्यों आज भी हमारे समाज में दहेज़ जैसी कुप्रथा मौजूद है ?

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