छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंदगाँव से वीरेंदर गंदर्व ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि सदियों से वो व्यक्ति समाज में रहते है , ऐसे व्यक्ति जो धन दौलत के माध्यम से कमज़ोर व्यक्ति पर भारी पड़ता है। अगर समाज एकजुट हो जाएगी तो ऐसे व्यक्ति की दादागिरी को बल नहीं मिलेगा। एकजुटता में ताकत है

दिल्ली से प्रेम कुमार ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि पुलिस द्वारा किया गया एनकाउंटर में निश्चित ही सवाल उठता है। पुलिस द्वारा घर से बुला कर ले जाना फिर एनकाउंटर करना ,यह रवैया गलत है। यह सत्ता पक्ष को खुश करने के लिए किया गया है। अधिकतर कार्यवाही धर्म जाति देख कर ही किया जाता है। किसी अपराधी को छोड़ दिया गया और एक का एनकाउंटर हुआ है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए ,निष्पक्ष रूप से कार्यवाही होना चाहिए। यह कार्यवाही के कारण पुलिस के ऊपर सवाल खड़े होते है। पुलिस अधिकतर समय बदले की भावना से एनकाउंटर करती है और सत्ता पक्ष को खुश रखने के लिए करती है पुलिस का काम है मुजरिम को पकड़कर न्यायलय के कटघड़े में खड़ा करना है। पुलिस तंत्र सही हो जाएगा तो घटनाएँ भी कम मात्रा में होगी। उत्तरप्रदेश में हुआ एनकाउंटर फ़र्ज़ी है।

महाराष्ट्र राज्य के जिला नागपुर से आदर्श , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि अपराधियों को मीडिया ही दबाती है। अपराधियों का मामला राज्य सरकार और मीडिया दबाता है। मीडिया सरकार के अंतर्गत कार्य करता है। हकीकत में मीडिया सरकार को बचाने का काम करती है। अगर अपराध को लेकर कोई व्यक्ति सरकार पर सवाल उठाता है तो मीडिया इस बात को तुरंत दबा देता है। पुलिस को मशीनो की तरह काम करने के लिए कहा जाता है।

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंदगाँव से वीरेंदर गंदर्व ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि एनकाउंटर के ज़रिये कई माओवादी ,आतंकवादी व अन्य अपराधी मारे जाते है। जो लोग बबरतता पूर्वक दुष्कर्म करते है ,वे लोगों का एनकाउंटर क्यों नहीं किया जाता है। इस कारण किसी पीड़ित का न्याय नहीं हो पाता है। इसमें पुलिस प्रशासन की खामियां व कोई राज़ नज़र आती है। पुलिस केवल शाबाशी बटोरने के लिए एनकाउंटर का कार्य किया जाता है। पहले के समय में न्याय का तरीका अच्छा था जिस कारण अपराधियों में दहशत रहती थी। उसी तरह ऐसा न्याय मिलना चाहिए जिससे अपराधियों में डर रहे और कोई भी गलत काम करने से पहले एक बार सोचे

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंद गाँव वीरेंदर , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि जिस तरह से पुलिस काम करती है, वह जाति और धर्म के बीच भेदभाव करती है, इसलिए न्याय नहीं मिलता है। समाज में कई घटनाएं घटित होती है लेकिन अपराधियों को सजा नहीं मिलता है। पुलिस सिर्फ जांच करती है , लेकिन अपराधियों को पकड़ नहीं पाती है। जो हत्या करता उनको सजा क्यों नहीं मिलती है।

राजनैतिक सिंद्धांत औऱ प्रक्रियाओं में न्याय सबसे पुरानी अवधारणाओं में से एक है, न्याय के सिद्धांत को लेकर तमाम प्रकार की बातें कहीं गई हैं, जिसे लगभग हर दार्शनिक और विद्वान ने अपने समय के अनुसार समझाया है और सभी ने इसके पक्ष में अपनी आवाज को बुलंद किया है। न्याय को लेकर वर्तमान में भी पूरी दुनिया में आज भी वही विचार हैं, कि किसी भी परिस्थिति में सबको न्याय मिलना चाहिए। इसके उलट भारत में इस समय न्याय के मूल सिद्धामत को खत्म किया जा रहा है। कारण कि यहां न्याय सभी कानूनी प्रक्रियाओं को धता को बताकर एनकाउंटक की बुल्डोजर पर सवार है, जिसमें अपरधियों की जाति और धर्म देखकर न्याय किया जाता है। क्या आपको भी लगता है कि पुलिस को इस तरह की कार्रवाइयां सही हैं और अगर सही हैं तो कितनी सही हैं। आप इस मसले पर क्या सोचते हैं हमें बताइये अपनी राय रिकॉर्ड करके, भले ही इस मुद्दे के पक्ष में हों या विपक्ष में

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंदगाँव से वीरेंदर गंदर्व ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि मानव का गहना विनम्रता होना चाहिए ,क्षमा करना भी चाहिए। लेकिन वो मन से करना चाहिए और चहरे पर भाव नज़र आना चाहिए। प्रधानमंत्री महोदय में भाव नज़र नहीं आता है ,केवल दिखावा नज़र आता है। घटनाओ की बात जो मणिपुर ,कलकत्ता में हुआ ,उसमे भी प्रधानमंत्री द्वारा कुछ नहीं कहा गया। उन्हें कार्यवाही करना तो चाहिए ही साथ ही कुछ बाते भी कही जाए। प्रधानमंत्री अगर माफ़ी मांग भी लिए पर अगर भाव नज़र न आये तो जनता इसे समझ नहीं पाएगी

नए नए आजाद हुए देश के प्रधानमंत्री नेहरू एक बार दिल्ली की सड़कों पर थे और जनता का हाल जान रहे थे, इसी बीच एक महिला ने आकर उनकी कॉलर पकड़ कर पूछा कि आजादी के बाद तुमको तो प्रधानमंत्री की कुर्सी मिल गई, जनता को क्या मिला, पहले की ही तरह भूखी और नंगी है। इस पर नेहरु ने जवाब दिया कि अम्मा आप देश के प्रधानमंत्री की कॉलर पकड़ पा रही हैं यह क्या है? नेहरू के इस किस्से को किस रूप में देखना है यह आप पर निर्भर करता है, बस सवाल इतना है कि क्या आज हम ऐसा सोच भी सकते हैं?

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनंदगांव जिला से वीरेंदर गन्धर्व ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पलटीमार की राजनीति तो पहले भी था, लेकिन आज के समय में यह बहुत बढ़ गया है। कौन नेता मंत्री कब और कौन सी पार्टी में चला जाएगा और वह फिर से अपनी पार्टी में वापस आ जाएंगे। इस प्रकार, यह पहले की तुलना में बहुत अधिक होगा। आजकल राजनीतिक तूफान चल रहा है। अगर नेता मंत्रियों द्वारा ऐसा किया जाता है, तो जनता के दिल में उनका सम्मान नहीं होता है क्योंकि जनता भी समझती है कि आज यहाँ है, कल वहाँ है, तो जनता को उतना ही चाहिए जितना वे पहले चाहते थे।

बिहार राज्य के जमुई ज़िला से प्रेम कुमार ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि राजनीति में पलटी मारना पुराने समय से चला आ रहा है। दाव देख कर नेता पलटी मारते है। राजनीति के लिए कुछ भी कर सकते है