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झारखंड राज्य से अंशिका गुप्ता मोबाईल वाणी के माध्यम से माँ पर आधारित एक कविता प्रस्तुत कर रही है जिसमें उनका कहना है कि चूल्हे की जलती रोटी सी,तेज आँच में जलती माँ,भीतर -भीतर बलके फिर भी,बाहर नहीं उबलती माँ, धागे -धागे यादें बुनती ,खुद को नई रुई सा धुनती ,दिन भर तनी ताँत सी बजती,घर -आँगन में चलती माँ।
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झारखंड राज्य से एक श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से पानी पर आधारित कविता प्रस्तुत कर रहे है जिसमे उनका कहना है कि सूरज पूरब से निकलता है और सूरज का रंग लाल होता है।पूरब चार दिशाओं में सिमित है तथा सूरज से हवाएं आती है.यही हवाएं पानी लाकर बताती है पानी कितना उपयोगी है,पानी के बिना जीवन संभव नहीं है।
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