फरीदाबाद में स्थित जे बी एम फैक्ट्री में स्थाई मजदूर 10 प्रतिशत से भी कम हैं, 90 प्रतिशत से ज्यादा वरकरों को तीन ठेकेदारों के जरिये रहें गए थे ।उनकी 8:30-8:30 घण्टे की दो शिफ्ट हैं। फाइलिंग, स्पाॅट वैल्डिंग, सफाई, पैकिंग विभागों में 200 मजदूर एक शिफ्ट में काम करते हैं - सुबह 7:30 से रात 9 बजे, कभी कभी रात के 10 और 1 भी बज जाते हैं। प्रेस शाॅप के 300 और एक्सल विभाग के 150 वरकर 2 शिफ्टों में काम करते हैं - सुबह 7:30 से रात 7 बजे तक और रात 8 बजे से अगले रोज सुबह 6 बजे तक। रविवार को भी काम करना पड़ता है । ओवर टाइम का भुगतान सिंगल रेट से होता है। जे बी एम में आयशर, मारुति, हीरो होण्डा का काम होता है।’’

आज हम बात करेंगे आपसे ब्रिटेन स्थित फ़ोर्ड/विस्टीओन कम्पनी के द्वारा 31 मार्च, 2009 को अचानक ब्रिटेन की अपनी तीन फ़ैक्ट्रीयाँ बन्द कर सभी मज़दूरों की नौकरी समाप्त करने की घोषणा की बारे में। श्रोताओं, कोरोना संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान और फिर हुए अनलॉक के बाद भी विभिन्न फैक्ट्रियों, कम्पनियों में कार्यरत श्रमिकों को बाज़ार की मंदी का रोना रोते हुए उन्हें बिना कारण बताए काम से निकाल देना कोई नयी बात नहीं है। इन खबरों के माध्यम से हम आपको बस इतना बताना चाहते हैं कि विभिन्न फैक्ट्रियों, कम्पनियों में कार्यरत श्रमिकों को बिना कारण बताए काम से सिर्फ़ अभी ही नहीं निकाला जा रहा, बल्कि यह क्रम तो बहुत पहले से चला आ रहा है। हाँ, उसके पीछे के बहाने जरूर बदल जाते हैं, जैसे अभी कोरोना-संक्रमण के कारण छायी वैश्विक मंदी और माँग कम होने के कारण हो रहे घाटे का है। इसलिए इन बीत चुकी खबरों के माध्यम से हमें इतिहास में झांकते हुए उससे सबक़ सीखने और खुद को विपरीत परिस्थितियों के लिए तैयार रहने की सीख मिलती है।पूरी ख़बर के लिए सुनें ऑडियो...

फ़रीदाबाद मज़दूर समाचार में बात हो रही है लॉक डाउन के बीच शुरू हुई कंपनियों की परिस्थितियों से श्रमिकों को होने वाली विभिन्न परेशानियों के बारें में। सुनने के लिए क्लिक करें ऑडियो पर