एक बार पुनः मैक्लुस्कीगंज पहुंचे विदेशी मेहमान. नए वर्ष में यह पहला मौका है जब कोई विदेशी मैक्लुस्कीगंज आये है. दो दिवसीय भ्रमण पर स्वीडेन से आये मेहमानों में 73 वर्षीय इंग्रिड नीलसन, एलिजाबेथ व 71 वर्षीय लार्स शामिल है. सभी शिक्षण कार्यों से जुड़े है. स्वीडेन से आये मेहमान मैक्लुस्कीगंज के जागृति विहार में रुके, यहां उनका स्वागत संस्था के सचिव राजेश प्रशांत ने पुष्प गुच्छ देकर किया. बातचीत के क्रम में इंग्रिड नीलसन ने बताया कि वे जागृति विहार के संस्थापक स्व० सचिदानंद उपाध्याय के मित्र है. और 1983 में मैक्लुस्कीगंज आ चुकी है, उन्होंने कहा कि वे अलग अलग मुल्कों में रहकर एक दूसरे के जन उत्थान कार्यों, पढ़ाई से वंचित बच्चों सहित आदिवासियों, आदिम जनजातियों के कल्याणकारी कार्यों में पहल पर आपसी तालमेल से सहयोग किया करते थे. अब स्व0 एस उपाध्याय के निधन होने के बाद वे मायूस तो दिखे. लेकिन उनके द्वारा जागृति विहार परिसर में स्थापित वात्सल्य विद्यालय में पठन पाठन करते हुए बच्चों को देखकर जुड़े मेहमानों ने सुकून महसूस किया. राजेश प्रशांत ने विदेशी मेहमानों को याद दिलाते हुए कहा कि उनकी संस्था लगभग पांच दशक से मैक्लुस्कीगंज, डुमारो कोयलांचल सहित आसपास के गांव में जनुत्थान व शिक्षण जैसे अन्य सामाजिक कार्य कर रही है. बताया कि अभी हाल ही में नई दिल्ली स्थित भारत मण्डपम्म सभागार में भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय द्वारा आयोजित रूरल टूरिज़म इंडिया कार्यक्रम के तहत ग्लोबल लॉन्च ऑफ ट्रैवेल फ़ॉर लाइफ प्रोग्राम में मैक्लुस्कीगंज को पर्यटन ग्राम 2023 कांस्य श्रेणी में प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया है. इस बाबत मैक्लुस्कीगंज से दशकों से जुड़े स्वीडेन से आये विदेशी मेहमानो ने पूरे मैक्लुस्कीगंज की ओर से भारत सरकार व पर्यटन मंत्रालय के प्रति आभार व्यक्त किया है. कहा कि अब मैक्लुस्कीगंज को पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा व स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे. भ्रमण के दौरान विदेशी मेहमान लपरा, मल्हार व बिरहोर कॉलोनी, डुमारो सहित अन्य जगहों पर भी गये. इस दौरान मेहमानों को जागृति विहार के राजेश प्रशांत ने सभी जगहों पर सहयोग किया.