प्रगतिशील विचारधारा रखने वाले लोग दुख को जीवन का संघर्ष मान कर उस से दो-दो हाथ करने की तैयारी रखते है, लेकिन धर्म व इश्वर की परिकल्पना के साथ जीने वाले लोग दुख का संबंध अपने भाग्य से जोड़ते है या फिर सारा दोष दूसरे पर या इश्वर पर मढ़ देत है। मैने अपने व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में यही अनुभव किया है। आज हम बात करेंगे विचारों पर अनुशासन रख कर कैसे दुखों पर विजय पाकर आनंदमय रह सकते है । अकसर हम तब अपनी आसपास की परिस्थितियों का विश्लेषण करने लगते है जब हमारा सोचा हुआ काम पुरा नहीं होता है। हम असफल हो जाते है तो निश्चित ही उस समय हम बेहद दुखी होते है। और इस दुख का कारण भीतर की बजाए बहार ढूंढने लगते है। मैने कई बार देखा है धर्मभीरू लोग इस दुख के लिए ईश्वर को दोष देने लगते है।

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा तरबूज की खेती से सम्बंधित जानकारी दे रहे हैं । विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें...

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।

आज तीन घंटे बंद रहेगी बिजली सप्लाई।

उत्कृष्ट कार्य करने वाले 60 लोगों का किया सम्मान।

लोक अदालत में निपटे कई मामले।

आदतन अपराधी को 6 महा के लिए जिला बदर।

भाजपा कार्यकर्त्ता 12 मार्च तक लोगों से लेंगे सुझाव-सिकरवार।

रेलवे स्टेशन गेट खुला रहा, पटरी पर लोगो के वाहन फंसे।

उनका सम्मान जो परिवार चला रही है।