अमृतवाणी सत्संग प्रचार कार्यक्रम आज ।

हमारे समाज में कुछ ऐसी मान्यताएं प्रचलित है जिन्हें अंधविश्वास कहा जाता है हालांकि कुछ लोगों के लिए यह आस्था का सवाल हो सकता है। इन मान्यताओं के कारण भारत की अधिकांश जनता अपने मन में वहम पालकर जीवन जीती है। निर्णयहीन होकर किसी अनहोनी की आशंका से डरी हुई रहती है और धर्मभीरू बन जाती है। मेरा अनुभव कहता है जो लोग अंधविश्वासों को मानते हैं वह डरे हुए ही जीवन गुजार देते हैं लेकिन साहसी लोग अपनी बुद्धि और समझ पर भरोसा करते हैं। आज हम बात करेंगे सामाजिक मान्यताएं और अंधविश्वास पर। समाज में ढ़ेरों मान्यताएं है जिनमें से कुछ को हम अपने संस्कृति का हिस्सा मानते है। तो ऐसे मान्यताएं है जो लोक परंपरा और स्थानीय लोगों की स्वीकोरोक्ति पर आधारित है हालांकि इनमें कुछ विश्वासों को अनुभव पर आधारित माना जाता है ।

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जैसा की आपको पता ही है की वसंत ऋतू को ऋतुओं का राजा कहा जाता है और वसंत पंचमी का त्यौहार भी वसंत ऋतू में ही मनाया जाता है जी हां दोस्तों बसंत पंचमी मुख्य रूप से प्रकृति और भारतीय परंपरा से जुड़ा हुआ त्योहार है, जो बसंत के आने तथा ठंडी के जाने का संकेत देता है,जब फूलों पर बहार हो , जौ और गेहूं की बालियां खिलने लगती हैं, खेतों में सरसों और आमों के पेड़ों पर बौर आने लगते हैं तब वसंत पंचमी का त्योहार आता है।बसंत उत्सव बसंत ऋतु की ताजगी एवं खूबसूरती का उत्सव होता है इसका आगमन सभी के मन में एक अलग ही तरह की सकारात्मक ऊर्जा भर देता है। यह खुशियों के साथ-साथ शिक्षा, ज्ञान और समृद्धि का भी त्योहार है। इस दिन शहरों ,गांवों ,टोलो और कस्बों में सभी लोग खास कर नवयुवक और विद्यार्थीगण छोटे छोटे बच्चे माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं.तो आइये हम सब भी इस खुशनुमा ऋतू और उत्सव का आनंद उठाये। साथियों आप सभी को मोबाइल वाणी परिवार की ओर से बसंत पंचमी एवं सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं।

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तिलक लगाने से नही आती नकारात्मक ऊर्जा।