बीते सप्ताह हमने विवाह में कुरितीयां और परपंराओं पर बात की थी। इसे आगे बढ़ाते हुए इस सप्ताह सत्यशोधक विवाह क्या है, और क्या इसे कानूनी मान्यता है, वर्तमान में समाज में इस की आवश्यकता क्यों हैं पर बात करेंगे। भारत में देश आजाद होने के आठ साल बाद 18 मई 1955 को हिंदू विवाह काननू लाया गया था। इस कानून में विवाह योग्य भावी वर वधु इनके बीच होने वाला एक करार कहा गया था। इस के पूर्व डेढ सौं वर्ष पूर्व महात्मा ज्योतिबा फुले ने विवाह की परिभाषा में कबुलायत शब्द का उपयोग किया गया था और सत्येशोधक विवाह पद्यति की शुरूआत की गई थी।