बेटों की चाह में बार-बार अबॉर्शन कराने से महिलाओं की सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव लाइफ पर भी बुरा असर पड़ता है। उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ भी खराब होने लगती है। कई मनोवैज्ञानिको के अनुसार ऐसी महिलाएं लंबे समय के लिए डिप्रेशन, एंजायटी का शिकार हो जाती हैं। खुद को दोषी मानने लगती हैं। कुछ भी गलत होने पर गर्भपात से उसे जोड़कर देखने लगती हैं, जिससे अंधविश्वास को भी बढ़ावा मिलता है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि * -------आखिर हमारा समाज महिला के जन्म को क्यों नहीं स्वीकार पाता है ? * -------भ्रूण हत्या और दहेज़ प्रथा के आपको क्या सम्बन्ध नज़र आता है ?
दहेज में परिवार की बचत और आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च होता है. वर्ष 2007 में ग्रामीण भारत में कुल दहेज वार्षिक घरेलू आय का 14 फीसदी था। दहेज की समस्या को प्रथा न समझकर, समस्या के रूप में देखा जाना जरूरी है ताकि इसे खत्म किया जा सके। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- दहेज प्रथा को लेकर आपके क्या विचार है ? *----- आने वाली लोकसभा चुनाव में दहेज प्रथा क्या आपके लिए मुद्दा बन सकता है ? *----- समाज में दहेज़ प्रथा रोकने को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है और क्यों आज भी हमारे समाज में दहेज़ जैसी कुप्रथा मौजूद है ?
भारत में शादी के मौकों पर लेन-देन यानी दहेज की प्रथा आदिकाल से चली आ रही है. पहले यह वधू पक्ष की सहमति से उपहार के तौर पर दिया जाता था। लेकिन हाल के वर्षों में यह एक सौदा और शादी की अनिवार्य शर्त बन गया है। विश्व बैंक की अर्थशास्त्री एस अनुकृति, निशीथ प्रकाश और सुंगोह क्वोन की टीम ने 1960 से लेकर 2008 के दौरान ग्रामीण इलाके में हुई 40 हजार शादियों के अध्ययन में पाया कि 95 फीसदी शादियों में दहेज दिया गया. बावजूद इसके कि वर्ष 1961 से ही भारत में दहेज को गैर-कानूनी घोषित किया जा चुका है. यह शोध भारत के 17 राज्यों पर आधारित है. इसमें ग्रामीण भारत पर ही ध्यान केंद्रित किया गया है जहां भारत की बहुसंख्यक आबादी रहती है.दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- दहेज प्रथा को लेकर आप क्या सोचते है ? और इसकी मुख्य वजह क्या है ? *----- समाज में दहेज़ प्रथा रोकने को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ? *----- और क्यों आज भी हमारे समाज में दहेज़ जैसी कुप्रथा मौजूद है ?
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मेरी भी आवाज़ सुनो कार्यक्रम के अंतर्गत इस कड़ी में महिलाओं के लिए संपत्ति और भूमि पर अधिकार के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।महिलाओं के लिए संपत्ति और भूमि पर अधिकार महिलाओं के अधिकार पर चर्चा की गयी है । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।
मध्यप्रदेश राज्य के खंडवा जिला से बिनीता यादव निष्ठा स्वास्थ्य वाणी के माध्यम से बता रही है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 304 में दहेज मृत्यु की परिभाषा दी गई है धारा 304 के अनुसार जहां विवाह के 7 वर्ष के भीतर किसी स्त्री की मृत्यु जल जाने से अथवा शारीरिक क्षति से अथवा सामान्य परिस्थितियों से विंध्य परिस्थिति में हो जाती है और दर्शित किया जाता है कि मृत्यु के ठीक पहले उसके पति द्वारा अथवा पति के रिश्तेदारों द्वारा दहेज के लिए मांग को लेकर परेशान किया गया था अथवा उसके साथ निर्दयता का व्यवहार किया गया वहां इसे दहेज मृत्यु कहा जाएगा और उसकी मृत्यु का कारण उसके पति या उसके रिश्तेदारों को माना जाएगा
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समाजसेवी श्रीं अनिल सुनहरे जी का साक्षात्कार, लोधा लोवंशी क्षत्रिय समाज का शिक्षा , रोजगार , व्यापर एवं नशा मुक्ति अभियान के लिए आगामी रणनीति और समाज के विकास हेतु सभी सामाजिक लोगो को जोड़ने का प्रयास ...
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