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यह नौकरी उन लोगों के लिए है जो कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा निकाली गयी मल्टी टास्किंग नॉन टेक्निकल के 4887 और हवलदार के 3439 पदों पर काम करने के लिए इच्छुक हैं। वैसे उम्मीदवार इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिन्होंने किसी भी बोर्ड से दसवीं पास किया हो , इसके साथ ही उम्मीदवार की न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष और अधिकतम आयु सीमा 27 वर्ष होनी चाहिए। इच्छुक उम्मीदवार अपना आवेदन ऑनलाइन भर सकते हैं।अधिक जानकारी के लिए आवेदनकर्ता इस वेबसाइट पर जा सकते हैं। वेबसाइट है https://www.sarkariresult.com/ssc/ssc-mts-2024/ .याद रखिए इन पदों पर आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 /07/2024 है ।

मोटाभाई ने महज एक शादी में जितना खर्च किया है, वह उनकी दौलत 118 बिलियन डॉलर का 0.27 है। जबकि उनकी दौलत कृषि संकट से जूझ रहे देश का केंद्रीय बजट का 7.5 प्रतिशत से भी कम है। जिस मीडिया की जिम्मेदारी थी कि वह लोगों को सच बताएगा बिना किसी का पक्ष लिए, क्या यह वही सच है? अगर हां तो फिर इसके आगे कोई सवाल ही नहीं बनता और अगर यह सच नहीं तो फिर मीडिया द्वारा महज एक शादी को देश का अचीवमेंट बताना शुद्ध रूप से मुनाफे से जुड़ा मसला है जो विज्ञापन के रुप में आम लोगों के सामने आता है। क्योंकि मीडिया का लगभग पचास प्रतिशत हिस्सा तो मोटाभाई का खुद का है और जो नहीं है वह विज्ञापन के लिए हो जाता है "कर लो दुनिया मुट्ठी में” की तर्ज पर। दोस्तों, इस मुद्दे पर आप क्या सोचते है ?अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाईलवाणी पर, अपने फोन से तीन नंबर का बटन दबाकर या फिर मोबाईल का एप डाउनलोड करके।

आजाद हैं, आजाद ही रहेंगे: बनारस में ही चंद्रशेखर हो गए 'आजाद', काशी में ही पहली और अंतिम बार हुए थे गिरफ्तार मात्र 15 साल के चंद्रशेखर तिवारी काशी के संस्कृत पाठशाला में धरना देते हुए पहली और अंतिम बार अंग्रेजों के हाथ गिरफ्तार हुए थे। कोर्ट में ज्वॉइंट मजिस्ट्रेट ने जब उनका नाम पूछा तो उन्होंने जवाब दिया, आजाद, पिता का नाम स्वाधीनता और घर का पता जेल मैं आजाद हूं, दुश्मन की गोलियों का सामना हम करेंगे। आजाद हैं, आजाद ही रहेंगे। अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद ने अपने नाम के साथ आजाद इसलिए जोड़ लिया था क्योंकि वह आजाद रहते हुए जीना चाहते थे।

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हमारे श्रोता ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि धर्म का प्रचार करना बुरा नहीं है। कुछ दिनों पहले बाबा के कार्यक्रम में भीड़ जुटी और किसी कारण भगदड़ मची जिसमे कई लोग घायल हो गए। इसमें प्रशासन की लापरवाही अधिक होती है। ऐसे कार्य प्रयोजन में प्रशासनिक अनुमति ली जाती है और अनुमति में दर्शाया जाता है कि कितनी भीड़ इस कार्यक्रम में होगी। पर प्रशासनिक अमला अनुमति तो दे देती है पर निगरानी नहीं रखती है। जिस वजह से इस तरह की घटनाएँ अक्सर सुनने को मिलता है। जहाँ भगदड़ मची थी वह अनुमति से अधिक लोगों की भीड़ हो गई थी ,अगर प्रशासन इसकी निगरानी रखता तो इस तरह का घटना नहीं होता। किसी व्यक्ति को धर्म का प्रचार प्रसार करने पर रोक नहीं है पर कार्यक्रम आयोजित करते वक़्त नियमों की देखरेख करना ज़रूरी है।

इस कार्यक्रम में एक परिवार बात कर रहा है कि कैसे बढ़ती गर्मी से बचा जाए। वे चर्चा करते हैं कि शहरों में ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए, पानी बचाना चाहिए, और लोगों को इन बातों के बारे में बताना चाहिए। और सभी को मिलकर अपने आसपास की जगह को ठंडा और हरा-भरा बनाकर रखना चहिये