अखिल भारतीय संयुक्त समिति के आह्वान पर विभिन्न माँगों के साथ एक दिवसीय हड़ताल की. जिसमें आंगनवाड़ी, मिड डे मील और आशा कर्मचारियों ने हिस्सा लिया. आशाओं ने सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, 21000 रुपए प्रतिमाह वेतन लागू करने, 10,000 रुपए प्रतिमाह कोरोना भत्ता देने, सवेतन मातृत्व अवकाश जैसी कई मांगें उठाईं। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

जल जंगल जमीन बचाने के लिए छत्तीसगढ़ में एक बार फिर से आदिवासियों ने कमर कस ली है. अपनी बातों को राज्य और केंद्र सरकार के पहुंचाने के लिए, सीमित संसाधन होने के बावजूद खदान प्रभावितों ने 300 किलोमीटर तक का पैदल यात्रा करने की ठानी है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

इन दिनों व्हाट्सएप पर एक मैसेज खूब वायरल हो रहा है. इसमें दावा किया गया है कि शिक्षा मंत्रालय कोरोनावायरस के प्रकोप के बीच वर्चुअल लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए सभी को मुफ्त लैपटॉप दे रहा है. मैसेज में एक लिंक भी दी गई है, जिसके जरिये अपनी जानकारी देते हुए फ्री लैपटॉप पाने के लिए अपनी पात्रता जांचनी होगी. हालांकि, यह मैसेज फर्जी है, इसपर कतई विश्वास ना करें.

सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा है कि सड़कों को हमेशा के लिए अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि दिल्ली की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों द्वारा सड़क की नाकेबंदी को हटाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों द्वारा राष्ट्रीय राजधानी को पड़ोसी राज्यों से जोड़ने वाले राजमार्गों की लगातार नाकेबंदी पर कड़ा रुख अपनाते हुए कोर्ट ने कहा कि सड़कों को हमेशा के लिए अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है. बेंच ने कहा कि समस्या को न्यायिक मंच या संसदीय बहस के माध्यम से हल किया जा सकता है, लेकिन हाईवे को हमेशा के लिए जाम नहीं किया जा सकता है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

अगले महीने से त्यौहार का सीजन शुरू होने वाला है. खास तौर पर दीपावली में भारत में चीन की सजावटी लाइटें,पटाखों की बिक्री ज्यादा होती है. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रहा है. जिसमें दावा किया जा रहा है कि चीन भारत में अस्थमा फैलाने और नेत्र रोग विकार उत्पन्न करने के लिए विशेष प्रकार के पटाखे और सजावटी लाइट्स भेज रहा है. अब इस पर पीआईबी की ओर से सफाई आई है.

किसान संगठनों ने भारत बंद का आहवाहन किया था और इसका असर पूरे देश में देखने मिला. यदि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो 2020 में किसानों द्वारा किए विरोध प्रदर्शनों की करीब 2,188 घटनाएं सामने आई थी और यह तब है जब इस समय पूरा देश कोरोनावायरस महामारी का दंश झेल रहा है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

जाति जनगणना कराने की देशव्यापी मांग के बीच आए एक सर्वेक्षण में पता चला है कि देश के 17.24 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 44.4 फीसदी परिवार अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं. आंकड़ों ये भी पता चलता है कि तमिलनाडु, बिहार, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, केरल, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ में ओबीसी परिवार बहुसंख्यक हैं. इन सात राज्यों में 235 लोकसभा सीट है. ये आंकड़े राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय द्वारा तैयार किए गए ‘ग्रामीण भारत में कृषक परिवारों की स्थिति और परिवारों की भूमि एवं पशुधन धृतियों का मूल्यांकन, 2019’ सर्वे का हिस्सा हैं। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

जब से कोरोना की शुरूआत हुई है तब से अफवाहों का नया बाजार गर्म है. इसके बाद जैसे ही वैक्सीन का निर्माण हुआ, उससे संबंधित अफवाहें फैलना शुरू हो गईं. नतीजा इस चक्कर में कई लोगों ने खुद को कोविड होने की जानकारी छिपाकर रखी और संक्रमण फैलता गया. भ्रम फैलाने वालों ने एक बार फिर लोगों को डराने के लिए मैसेज वायरल किया है. जिसमें दावा किया गया है कि अगर कोई कोविड वैक्सीन नहीं लगवाता है तो सरकार उसके घर की बिजली काट लेगी! लेकिन पीआईबी ने इस दावे को गलत करार दिया है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

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